Tuesday, June 9, 2020

13. ling (लिंग)

नमस्कार साथियों,
          अभी हम व्याकरण में शब्दों में विकार लाने वाले घटकों के बारे में पढ़ रहे हैं। पिछले अध्यायों में हम 'काल' और 'वचन' के बारे में पढ़ चुके है, आशा है आपको समझ भी आया होगा। आज हम इसी क्रम में 'लिंग' अध्याय के बारे में जानने का प्रयत्न करेंगे। मित्रों अभी तक यदि आपने ब्लॉग को Fallow नहीं किया है कर लें ये प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रख कर ही बनाया गया है। ये प्रस्तुति आपको कैसी लगी Comment करके अवश्य बताएँ। तो शुरू करते हैं आज का टॉपिक......... 
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अध्याय - 13

लिंग

परिभाषा :- जो शब्द किसी शब्द के पुरुष या स्त्री जाति का बोध कराये उसे लिंग कहते हैं। 
[नोट :- सर्वनाम शब्दों में लिंग भेद नहीं होते हैं, अर्थात् वे उभयलिंगी  होते हैं।]
भेद :- व्याकरण शास्त्र में इसके दो भेद बताये गए हैं - 
(क) पुल्लिंग और 
(ख) स्त्रीलिंग। 

(क) पुल्लिंग :- ये किसी संज्ञा की पुरुष जाति का बोध करता है।

1. कुछ शब्द हमेशा पुल्लिंग होते हैं - 
कौआ, गिरगिट, कबूतर, कीड़ा, गिद्ध, बाज, सारस, पत्थर, मगरमच्छ, तिनका, खरगोश, मच्छर, तोता, चीता, कछुआ, दही, शीशा, घाघरा, तूफान, इस्तीफा, आश्रम इत्यादि। 
2. कुछ प्रत्ययों के योग से निर्मित संज्ञाएँ सदैव पुल्लिंग होती है। 
१. अक :- पाठक, लेखक, नर्तक, गायक, वादक, धावक, श्रावक
२. अक्कड़ :- पियक्कड़, भुलक्कड़, घुमक्कड़। 
३. हार :- पालनहार, राखनहार, तारनहार, खेवनहार, होनहार। 
४. अन :- शोधन, रोपण, नर्तन, धावन, पठन, ज्वलन, छेदन, क्रंदन, पोषण 
५. त :- प्राप्त, नत, कृत, भ्रांत, भूत, श्लिष्ट, तृप्त, नत 
६. तव्य :- कर्तव्य, दातव्य, हर्तव्य, मंतव्य, ध्यातव्य, पातव्य 
७. आर :- चमार, लोहार, सुथार, गँवार 
८. कार :- चित्रकार, कलाकार, काष्ठकार, चर्मकार, शिल्पकार, कुम्भकार, ग्रंथकार, लेखाकार, पत्रकार
९. कर :- दिनकर, निशाकर, प्रभाकर, प्रलयंकर, भयंकर, सुधाकर, भास्कर 
१०. मार :- चिड़ीमार, पॉकेटमार, बटमार, छापामार, लट्ठमार, 
११. विद :- खगोलविद, इतिहासविद, कलाविद, भाषाविद 
१२. ईला :- रंगीला, चटकीला, पथरीला, रसीला, हठीला, कंटीला, बर्फीला, फुर्तीला 
१३. उक :-  भावुक, भिक्षुक, बटुक, कामुक, 
१४. पन :- अपनापन, अकेलापन, अल्हड़पन, चुलबुलापन, कटुपन, सीधापन, रूखापन, अंधापन, 
१५. य :- काव्य, पांडित्य, गांभीर्य, वाणिज्य, शैथिल्य, ऐश्वर्य, वैशिष्ठ्य, कौटिल्य, दौर्बल्य, कौमार्य, कार्पण्य, 
3. देशों  राज्यों के नाम :- भारत, रूस, जापान, पंजाब, बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु (अपवाद - दिल्ली)
4. रत्नों के नाम :- हीरा, मूंगा, पन्ना, पुखराज, माणिक, गोमेद, मोती, (अपवाद - नीलम, मणि)
5. धात्विक खनिजों के नाम :- सोना, तांबा, लोहा, निकल, जस्ता, यूरेनियम, प्लेटिनम, (अपवाद - चाँदी)
6. अधात्विक खनिजों के नाम :- अभ्रक, जिप्सम, पत्थर, कोयला, संगमरमर, पैट्रोल, ऑयल, (अपवाद - सिलिका)
7. पेड़ों के नाम :- बरगद, पीपल, नीम, बाबुल, शिशिम, सागवान, देवदार, (अपवाद - अंजीर, खुबानी, खेजड़ी, इमली)
8. अनाजों के नाम :- गेहूँ, जौ, मक्का, बाजरा, चावल (अपवाद - ज्वार)
9. पर्वतों के नाम :- हिमालय, अरावली, विंध्य, सतपुड़ा, द्रोण, सह्य, मंदार, धौलागिरी,
10. सप्ताह के दिनों के नाम :- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरूवार,
11. हिंदी महीनों के नाम :- पौष, माघ, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ,आसाढ़ 
12. महासागरों के नाम :- हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अरब सागर, भूमध्य सागर, कालासागर,
13. फलों के नाम :- आम, केला, चीकू, अनार, अमरुद, बिल्व, नारियल, अन्नानास,
14. बीमारियों के नाम :- हैजा, डेंगु, मलेरिया, खसरा, केंसर, चेचक, मधुमेह, एड्स 

 (ख) स्त्रीलिंग :- ये किसी संज्ञा की स्त्री जाति का बोध करता है।

1. कुछ शब्द सदैव स्त्रीलिंग ही होते हैं -
संतान, सवारी, मैना, सौतन, तितली, मछली, छिपकली, सीप, आत्मा, पुलिस, सेना, आत्मा, लोमड़ी, भेद, टिटहरी, बकरी, स्वतंत्रता, कमीज, मुस्कान, भिक्षा, सीख, बुलबुल, सब्जी, जूं, जोंक, मक्खी इत्यादि। 
2. कुछ प्रत्ययों के योग से निर्मित संज्ञाएँ सदैव स्त्रीलिंग होती है।
१. नी :- मथनी, घोटनी, कतरनी, छलनी, दुहनी, 
२. आई :- पढाई, लड़ाई, कुटाई, घिसाई, पिसाई, बुनाई, रुलाई, कठिनाई, चिकनाई, 
३. आवट/आवटी :- रुकावट, बसावट, कसावट, सजावट, जमावटी, मिलावटी, दिखावटी,
४. आहट :- घबराहट, बौखलाहट, मुस्कराहट, चिकनाहट, कड़वाहट, कड़कड़ाहट, गड़गड़ाहट, 
५. इत :- खंडित, मंडित, रचित,
६. इका :- पत्रिका, कलिका, गुलिका, तूलिका, 
७. इया :- मुनिया, बिटिया, डिबिया, खटिया, लुटिया, चुटिया 
८. ड़ी :- पंखुड़ी, आंतड़ी, तुमड़ी, टंगड़ी,
९. री :- गठरी, टोकरी, गगरी, कोठरी,
१०. आयत :- अपणायत, पंचायत,
११. इमा :- आरुणिमा, रक्तिमा, भंगिमा, नीलिमा, हरीतिमा, लालिमा,
१२. आनी :- सेठानी, जिठानी, देवरानी, रुद्राणी, इंद्राणी, नौकरानी, 
१३. आइन :- चौधराइन, पंडिताइन, हलवाइन, नाइन 
१४. इन :- बाघिन, नागिन, पड़ोसिन, पुजारिन, भिखारिन, 
१५. इनी :- कामिनी, वादिनी, वाहिनी, धर्मिणी, गर्भिणी, भामिनि, विलासिनी,
१६. मती/वती :- श्रीमती, बुद्धिमती, गतिवती, वेगवती, धनवती, विद्यावती, शीलवती, 
3. भाषाओँ के नाम :- हिंदी, संस्कृत, मराठी, गुजरती, कन्नड़, अवधी, ब्रज,
4. लिपियों के नाम :- शारदा, नगरी, देवनागरी, महानगरी, गुरुमुखी, फ़ारसी, अरेमिक 
5. नदियों के नाम :- गंगा, यमुना, चम्बल, मन्दाकिनी, सतलज, पार्वती, माही, नर्मदा, गोदावरी,
6. ऋतुओं के नाम :- शीत, ग्रीष्म, वर्षा, (अपवाद - बसंत, पतझड़)
7. तिथियों के नाम :- पूर्णिमा, अमावस्या, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी,
8. फर्नीचर के नाम :- कुर्सी, मेज, संदूक, चारपाई, दराज, खिड़की (अपवाद - दरवाजा, पलंग, बाजोट, दीवान)
9. दिशाओं के नाम :- उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम,
10. बर्तनों के नाम :- थाली, कटोरी, चम्मच, गिलास, हांडी, कड़ाही, (अपवाद - भगौना, तवा)
11. वाहनों के नाम :- साईकिल, बाइक, कार, जीप, बस, ट्रक, रेल, जहाज, (अपवाद - छकड़ा, तांगा, इक्का)
12. पेय पदार्थों के नाम :- लस्सी, शरबत, छाछ, शराब, चाय, (अपवाद - दूध, रस, काढ़ा)
13. गैसों के नाम :- ऑक्सीजन, कार्बन-डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ओजोन इत्यादि। 
14. खाद्य पदार्थों के नाम :- घी, तेल, मक्खन, रोटी, दाल, तरकारी (अपवाद - हलवा, पनीर, रसगुल्ला, गुलाबजामुन)
15. खेलों के नाम :- कबड्डी, क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, शतरंज, कुस्ती, 

संज्ञाओं  लिंग परिवर्तन  कुछ नियम 
1. पुल्लिंग 'अ' के स्थान पर 'आ' जोड़ने से 
सुत - सुता                   छात्र - छात्रा 
वृद्ध - वृद्धा                    आचार्य - आचार्या 
प्रिय - प्रिया 
2. पुल्लिंग 'अ' के स्थान पर 'ई' जोड़ने से 
कबूतर - कबूतरी           पुत्र - पुत्री 
दास - दासी                   देव - देवी 
3. पुल्लिंग 'आ' के स्थान पर 'ई' जोड़ने पर 
बेटा - बेटी                    गधा - गधी 
बकरा - बकरी              सखा - सखी 
4. 'इया' जोड़ने पर 
कुत्ता - कुतिया              चूहा - चुहिया 
डिब्बा - डिबिया            बाग़ - बगिया 
बंदर - बंदरिया 
5. 'इन' जोड़ने पर 
बाघ - बाघिन             नाग - नागिन 
मालिक - मालकिन   पुजारी - पुजारिन 
6. 'आनी' जोड़ने पर 
देवर - देवरानी            रूद्र - रुद्राणी 
इंद्र - इन्द्राणी              सेठ - सेठानी 
शिव - शिवानी 
7. 'आइन' जोड़ने पर 
चौधरी - चौधराइन            पंडित - पंडिताइन 
नाइ - नाइन                     ठाकुर - ठकुराइन 
8. 'इका' जोड़ने पर 
पत्र - पत्रिका                   अध्यापक - अध्यापिका 
पाठक - पाठिका              गायक - गायिका 
9. 'नी' जोड़ने पर 
चोर - चोरनी                 भील - भीलनी 
मोर - मोरनी                 भूत - भूतनी 
10. 'त्री' जोड़ने पर 
अभिनेता - अभिनेत्री       वक्ता - वक्त्री 
धाता - धात्री                 
11. 'इनी' जोड़ने पर 
हंस - हंसिनी             संग - संगिनी 
सर्प - सर्पिणी         
12. कुछ संज्ञाओं के साथ लिंगबोधक शब्द जोड़े जाते हैं। 
नर गैंडा - मादा गैंडा                    नर तितली - मादा तितली 
नर मकड़ी - मादा मकड़ी             नर भेड़िया - मादा भेड़िया 
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प्रत्यय (तद्धित प्रत्यय) 

संज्ञा (व्यक्तिवाचक संज्ञा और जातिवाचक संज्ञा) 

संज्ञा (पदार्थवाचक, समूहवाचक और भाववाचक संज्ञा ) 



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अव्यय (समुच्चयबोधक अव्यय)

अव्यय (संबंधबोधक अव्यय)

अव्यय (विस्मयादि बोधक अव्यय)

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