Friday, May 22, 2020

3. Samas (Avyayibhav Samas)

नमस्कार मित्रों,
       आज मैं 'समास'  अध्याय को आरम्भ करने जा रहा हूँ, ये अध्याय भी बहुत विस्तृत होने के कारण आज इसके एक भाग 'अव्ययीभाव समास' के बारे में ही बता पाऊँगा, आगामी पोस्ट  नियमित रूप से करता रहूँगा, अध्याय से जुड़ी अपनी समस्याओं से अवश्य अवगत कराएं, मैं उन्हें प्राथमिकता देते हुए उनका समाधान करूँगा। तो आइये शुरू करते हैं आज का टॉपिक - - -
अध्याय - 3. 
समास 

परिभाषा :- न्यूनतम् दो पदों के मेल को समास कहते हैं।
(यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है  संधि में वर्णों का मेल होता है, जबकि समास में शब्दों का मेल होता है। संधि में ध्वनि में विकार आता है, जबकि समास में पद विस्तृत होता हैं।)
       जिन दो पदों को जोड़ा जाता हैं, उन्हें सामासिक पद कहते हैं, जुड़ने के बने नए पद को समस्त पद कहते हैं और पदों के आशय को एक वाक्य में विस्तारित करने की प्रक्रिया को समास विग्रह कहते हैं। समास तो मात्र एक व्याकरणिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से पदों के मध्य प्रयुक्त अनावश्यक पदों को हटा कर उन्हें संयुक्त किया जाता है। 
भेद :- हिंदी व्याकरण में समास के छह भेद बताये गए हैं, 1. अव्ययीभाव समास, 2. तत्पुरुष समास, 3. कर्मधारय समास, 4. द्विगु समास, 5. द्वंद्व समास तथा 6. बहुव्रीहि समास। 
       इनमें पद की प्रधानता के आधार पर केवल चार समास ही होते है - वे हैं, 1. अव्ययीभाव समास, 2. तत्पुरुष समास, 3. द्वंद्व समास तथा 4. बहुव्रीहि समास। कर्मधारय और द्विगु समास को तत्पुरुष समास के ही भेद बताये गए हैं। 
1. अव्ययीभाव समास
जहाँ पूर्व (प्रथम) पद कोई उपसर्ग या अव्यय हो, उत्तर (बाद वाला) पद कोई संज्ञा हो तथा सम्पूर्ण पद अव्ययवत् हो, वहाँ अव्ययीभाव समास होता है। 
(विशेष :- १. कभी-कभी दो विकारी पद भी संयुक्त हो कर अव्यय बन जाते हैं, ऐसे पद भी इसी समास में परिगणित होते हैं, उन्हें नामपद अव्यय कहा जाता है।
२. वस्तुतः अव्ययीभाव समास में प्रयुक्त होने वाले सभी पद अव्यय ही होते हैं, वे किसी काल, वचन, लिंग, पुरुष व कारक के अनुसार रूपांतरित नहीं होते हैं।
३. प्रथम पद में किसी उपसर्ग को देख कर ही अव्ययीभाव समास का अनुमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा अन्य समासों में भी देखने को मिल सकता हैं। इसमें सम्पूर्ण पद को अव्यय के रूप में जानना चाहिए।)
(अ) पूर्वपद अव्यय 
यथाशक्ति :- शक्ति के अनुसार 
यथाशीघ्र :- जितना शीघ्र हो 
यथायोग्य :- योग्यता के अनुसार 
यथासंभव :- जैसा संभव हो 
यथाज्ञा :- आज्ञा के अनुसार 
यथोचित :- जैसा उचित हो 
यथावसर :- अवसर के अनुसार 
परोपकार :- दूसरों पर उपकार 
परपीड़ा :- दूसरों की पीड़ा 
परभक्षी :- दूसरों का भक्षण करने वाला 
समतल :- सामान तल वाला 
समरस :- सामान रस वाला 
समरूप :- सामान रूप वाला 
अधःपतन :- नीचे की ओर गिरना 
अधोमुखी :- नीचे की ओर मुख 
अधोहस्ताक्षर :- नीचे हस्ताक्षर किये हुए 
अधोलिखित :- नीचे लिखा हुआ  
स्वेच्छा :- स्वयं की इच्छा 
स्वरोजगार :- स्वयं का रोजगार 
स्वतंत्र :- स्वयं का तंत्र (शासन)
स्वदेश :- स्वयं का देश 
चिरकाल :- लम्बा समय 
चिरायु :- लम्बी आयु 
चिरन्तर :- लम्बा अंतर 
बहुरूप :- भिन्न-भिन्न रूप 
बहुभाषा :- भिन्न-भिन्न भाषा 
बहुगुण :- भिन्न-भिन्न गुण 
बहुचर्चित :- जिस पर बहुत चर्चा हुई हो 
(ब) पूर्वपद उपसर्ग (हिंदी)
प्रक्षिप्त :- आगे की ओर फेंका हुआ 
प्रोन्नत :- आगे की ओर उन्नत 
प्रवाह :- आगे की ओर बहना 
प्रचलन :- बहुत चलन 
प्रगति :- आगे की ओर गति 
पराजय :- जय से परे (दूर)
परावर्तन :- विपरीत दिशा में वर्तन (मुड़ना)
अपकीर्ति :- कलंकित कीर्ति 
अपनयन :- झुकी हुई आँखें 
अपकर्म :- निम्न ( गिरा हुआ) कर्म 
अपयश :- कलंकित यश 
अनुकृत :- किये गए कार्य के जैसा ही किया हुआ 
अनुरूप :- समान रूप 
अनुवाद :- समान वाद 
अनुनय :- नीति के अनुसार 
निश्चेतन :- चेतना से रहित 
निस्संदेह :- बिना संदेह के 
निष्काम :- बिना काम के 
निरंतर :- बिना रुके हुए 
निरभिमान :- अभिमान से रहित 
निर्दय :- दया से रहित 
निर्लज्ज :- लज्जा से रहित 
दुश्चरित्र :- बुरा चरित्र 
दुश्चक्र :- बुरा चक्र 
दुष्प्राप्य :- जिसकी प्राप्ति कठिन हो 
दुष्कर :- जिसे करना कठिन हो 
दुरभिमान :- बुरा अभिमान 
दुराशा :- बुरी आशा 
दुराचार :- बुरा आचरण 
दुर्लंघ्य :- जिसे लांघना कठिन हो 
विज्ञान :- विशिष्ठ ज्ञान 
विमाता :- माता के विपरीत लायी  माता 
विवाद :- विपरीत वाद 
विदेश :- पराया देश 
आजीवन :- जीवन पर्यन्त 
आकुल :- किनारे की ओर 
आमरण :- मरने तक 
आजानु :- घुटनों तक 
आख्यात :- ख्याति (प्रसिद्ध) होने तक 
अत्यल्प :- बहुत कम 
अत्याचार :- कठोर/बुरा आचरण 
अतिवृष्टि :- बहुत बरसात 
अभिगमन :- सामने की ओर गमन 
अभिमुख :- सामने की ओर मुख 
अभिमान :- बुरा मान 
अभिकर्ता :- श्रेष्ठता से कार्य करने वाला 
प्रतिवाद :- वाद के विपरीत वाद 
प्रतिहिंसा :- हिंसा के विपरीत हिंसा 
प्रतिदिन :- दिन-दिन (हर दिन)
प्रत्येक :- एक-एक ( हर एक)
प्रतिद्वार :- द्वार-द्वार (हर दरवाजे पर)
परिपक्व :- पूरी तरह से पका हुआ 
परिपूर्ण :- पूरी तरह से भरा हुआ 
सरोष :- रोष (क्रोध) के साथ 
सविनय :- विनय के साथ 
सकाम :- कामना के साथ 
(स) पूर्वपद उपसर्ग (उर्दू)
अलसवेरे :- जल्दी सवेरे 
गैरजमानती :- नहीं है जो जमानत के योग्य 
गैरहाज़िर :- नहीं है जो हाजिर (प्रस्तुत)
दरकिनार :- किनारे पर करना 
दरअसल :- असल (वास्तव) में 
दरमियान :- किसी के बीच में 
नामाकूल :- नहीं है जो माकूल (उचित)
नापसंद :- नहीं है जो पसंद 
नालायक :- नहीं है जो लायक 
बेशर्म :- बिना शर्म के 
बेपर्दा :- बिना परदे के 
बेइज्जत :- बिना इज्जत के 
बेसहारा :- बिना सहारे के 
बदनसीब :- बुरा नसीब
बदहवास :- बुरी तरह से व्याकुल 
बदज़ुबान :- बुरी ज़ुबान 
बशर्ते :- शर्त के साथ 
बदस्तूर :- दस्तूर (परंपरा) के अनुसार 
बदसूरत :- बुरी सूरत 
हमशक़्ल :- दिखने में सामान हो जो 
हमसफ़र :- सफर (यात्रा) में साथ हो जो 
लाईलाज़ :- बिना ईलाज के 
लावारिस :- नहीं है जिसका कोई वारिस 
लापता :- नहीं है जिसका कोई पता 
ऐनवक्त :- सही समय पर 
(द) नामपद अव्यय 
दिनभर :- पूरे दिन 
रातभर :- पूरी रात 
जीवनभर :- जीवन पर्यन्त 
भरसक :- पूरे सामर्थ्य के साथ 
भरपूर :- पूरा भर कर 
भरपेट :- पेट भर कर 
विवेकपूर्वक :- विवेक के साथ 
ध्यानपूर्वक :- ध्यान के साथ 
योग्यतानुसार :- योग्यता के अनुसार 
पहले-पहल :- सबसे पहले 
लूटमलूट :- लूटने के बाद और लूटना 
टालमटोल :- टालने के बाद और टालना 
भागमभाग :- भागने के बाद और भागना 
फिर-फिर :- फिर दस बाद और फिर 
बार-बार :- बार  और बार 
धीरे-धीरे :- धीरे के बाद और धीरे 
घड़ी-घड़ी :- घड़ी के बाद और घड़ी 
गटा-गट :- जल्दी-जल्दी गटकने (निगलने)  की आवाज 
फटा-फट :- फट के बाद फिर से फट की ध्वनि 
कहाकही :- कहने के बाद और कहना 
सुनासुनी :- सुनने के बाद और सुनना 
रातोंरात :- रात ही रात में 
बातोंबात :- बात ही बात में 
कानोंकान :- एक कान से दूसरे कान तक 
एकाएक :- एक ही एक 
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