Friday, June 5, 2020

10.3 Sambandhbodhak Avyay (संबंधबोधक अव्यय / सम्बन्धवाचक अव्यय)

नमस्कार मित्रों,
         आज के पोस्ट में हम 'अव्यय' अध्याय के तीसरे खंड 'संबंधबोधक/संबंधवाचक अव्यय' के बारे में पढ़ेंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से ये अध्याय भी महत्त्वपूर्ण है, लेकिन विडम्बना ये है की इस अध्याय के बारे में बहुत कम पुस्तकों में जानकारी प्राप्त होती है। अतः अव्यय अध्याय के संबंध में विद्यार्थियों का ज्ञान अधूरा ही रह जाता है, इसी के निवारणार्थ मैं व्याकरण के छोटे से छोटे अध्याय से विद्यार्थियों को परिचित कराने का प्रयत्न कर रहा हूँ, आशा है मेरा ये प्रयास सफल होगा। मित्रों अभी तक आपने यदि इस ब्लॉग को Follow नहीं किया है तो जल्दी से कर लो, ताकि आगे के Updates आपको तुरंत प्राप्त हो। तो शुरू करते है आज का टॉपिक........
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अध्याय 10.3

अव्यय 

संबंधबोधक अव्यय / सम्बन्धवाचक अव्यय 

परिभाषा :- दो वाक्यांशों मैं प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम पदों का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ जोड़ कर उन्हें सार्थक बनता हैं उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहते हैं। 

भेद :- इसके दो भेद होते हैं -
(क) सहित संबंध विभक्ति और
(ख) रहित संबंध विभक्ति। 
(क) सहित संबंध विभक्ति :- इन अव्यय शब्दों के साथ संबंध कारक के चिह्न 'का/के/की' का योग होता है। 
उपभेद :- इसके पुनः बारह उपभेद होते हैं- 
1. कालवाचक :- के पहले, के बाद, के पूर्व, के उपरांत, के पश्चात् इत्यादि। 
  • समय बीतने के बाद पछताने से कोई लाभ नहीं होता। 
  • बड़ों के मना करने के उपरांत कोई काम नहीं करना चाहिए।
  • सूर्योदय के पश्चात् उठाने से शरीर में कई बीमारियाँ घर कर लेती है। 
2. स्थानवाचक :- के पास, के  ऊपर, के नीचे, के बाहर, के अंदर, के भीतर, के मध्य, इत्यादि।
  • घर के बाहर एक भिक्षुक खड़ा है। 
  • उस पेड़ के नीचे कई जंतु विश्राम पाते हैं। 
  • आनासागर झील के मध्य एक द्वीप है। 
3. दिशावाचक :- की ओर, की तरफ, के आगे, के पीछे, इत्यादि।
  • शाम होते-होते पंछी भी अपने-अपने नीड़ों की ओर उड़ने लगे। 
  • इस पर्वत के पार एक नदी बहती है। 
  • भारतीय के आगे आतंकवादियों के पाँव उखाड़ने लगे। 
4. विरोधवाचक :- के विरुद्ध, के विपरीत, के  खिलाफ इत्यादि।
  • समयधारा के विपरीत चलने वाले निश्चय ही एक दिन काल के गाल में समा जाते हैं। 
  • हमें सामाजिक अत्याचार के खिलाफ आंदोलन करना ही होगा। 
  • ये कार्य तुमने मेरी इच्छा के प्रतिकूल किया है। 
5. साधनवाचक :- के सहारे, के जरिये, के चारों ओर, के मार्फ़त इत्यादि।
  • हवाला के मार्फ़त आतंकवादियों को पैसा पहुँचाया जाता है। 
  • डूबते को तिनके का सहारा। 
  • संकट में साथ देने वाले अपनों के सहारे जीवन आसान हो जाता है। 
6. समतावाचक :- के समान, के जैसा, की तरह, के बराबर इत्यादि।
  • भारत में वर्तमान समय में मोदी जी के जैसा कोई प्रभावशाली नेता नहीं है। 
  • महाराणा प्रताप सिंह के सामान शत्रुओं पर टूट पड़े। 
  • रौनक के बराबर सौरभ ने भी काम किया है। 
7. विनिमयवाचक :- के बदले में, के स्थान पर, के बाबत् इत्यादि।
  • प्राचीन समय में काम के बदले अनाज दिया करते थे। 
  • उधार रूपये दिलाने के स्थान पर मुझे कोई नौकरी दिला दो। 
  • इस जमीन की बाबत् आपको पर्याप्त धन दिया जायेगा।  
8. व्यतिरेकवाचक :- के बिना, के सिवाय, के अलावा इत्यादि।
  • अब तो ईश्वर के सिवाय और किसी पर विश्वास नहीं रहा। 
  • जल के बिना जीवन संभव नहीं है। 
  • केवल सोचने के बजाय कुछ करके देखोगे तो जरूर मदद मिल सकती है। 
9. सहचरवाचक :- के साथ, के सहित, के समेत इत्यादि।
  • वह अपने परिवार के सहित घूमने निकला है। 
  • कल मित्रों के साथ मैं पिकनिक पर जाऊँगा। 
  • भारतीय सेना ने आतंकवादियों के समेत उनके कई लॉंच पेड बर्बाद कर दिए। 
10. हेतुवाचक :- के कारण, के लिए, के मारे, के निमित्त इत्यादि।
  • भारतीय लोग धर्म के निमित्त बहुत दान करते हैं। 
  • रेगिस्तान में प्यास के मारे मेरा गला सूखने लगा। 
  • कई बिमारियों के कारण अब वह बहुत दुर्बल हो गया है। 
11. तुल्यतावाचक :- की अपेक्षा, के तुल्य इत्यादि।
  • इस सृष्टि में वेदों के तुल्य कोई ग्रंथ नहीं है। 
  • पिछली बार की अपेक्षा इस बार ये रास्ता बहुत छोटा लगा। 
12. विषयवाचक :- के बारे में, के विषय में इत्यादि।
  • कोई भी कार्य हमें आने वाले कल के बारे में विचार करके ही करना चाहिए। 
  • इस कार्य के विषय में मुझे विशेष जानकारी नहीं है। 
(ख) रहित संबंध विभक्ति :- इन अव्ययों  पूर्व स्पष्ट रूप से कोई संबंध कारक चिह्न प्रयुक्त नहीं होता है। 
जैसे :- सर्वत्र, सर्वदा, आमने-सामने, सम्मुख, पीछे, समेत, इधर-उधर, थोड़ा-थोड़ा, आरपार, आज, कल इत्यादि। 
  • आज सर्वत्र भय का वातावरण ही फैला हुआ है। 
  • कौन सच कह रहा है और कौन झूठ, इसका फैसला तो दोनों को आमने-सामने बिठा के ही किया जा सकता है। 
  • सामने पड़ी चीज तुम्हें दिखाई नहीं दे रही है। 
  • आज का संग्राम आरपार का है। 
  • आज दिन बहुत सुहावना है। 
  • पीठ पीछे किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए।
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         साथियों, अगली पोस्ट में हम विस्मयादिबोधक अव्यय के बारे में पढ़ेंगे। अगर पोस्ट अच्छी लगी जो तो इसे शेयर अवश्य करें। 
पिछली पोस्ट के लिंक नीचे दिए गए हैं 
हिंदी भाषा की संवैधानिक स्थिति का लिंक https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/blog-post_18.html


संधि (स्वर संधि) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/google-blog.html

विसर्ग संधि https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/1.html

समास (अव्ययीभाव समास) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/samas.html

तत्पुरुष समास https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/blog-post_22.html

कर्मधारय व द्विगु समास https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/3.html

द्वंद्व और बहुव्रीहि समास https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/dvandva-samas.html

प्रत्यय (कृदंत प्रत्यय) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/pratyay.html

प्रत्यय (तद्धित प्रत्यय) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/pratyay-taddhit-pratyay.html

संज्ञा (व्यक्तिवाचक संज्ञा और जातिवाचक संज्ञा) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/6.html

संज्ञा (पदार्थवाचक, समूहवाचक और भाववाचक संज्ञा ) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/sangya-padarth-vachak-samooh-vachak-aur.html


अव्यय (क्रिया विशेषण) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/06/101-avyay.html

अव्यय (समुच्चयबोधक अव्यय)

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