Saturday, May 30, 2020

Sangya (Padarth Vachak, Samooh Vachak aur Bhavavachak Sangya)


नमस्कार मित्रों, कल हमने संज्ञा अध्याय के सामान्य परिचय के साथ व्यक्तिवाचक और जातिवाचक संज्ञा के बारे में पढ़ था, आज इसी अध्याय को आगे बढ़ाते हुए जातिवाचक संज्ञा के उपभेदों पदार्थवाचक व समूहवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा के बारे में पढ़ेंगे।  तो आइये शुरू करते है आज का टॉपिक - - - 
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(क) पदार्थवाचक/द्रव्यवाचक संज्ञा :- जिन शब्दों से किसी पदार्थ या द्रव्य आदि का बोध हो उन्हें पदार्थ या द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। 
(क) सभी धात्विक खनिजों के नाम :- सोना, चाँदी, तांबा, पीतल, कांस्य, लोहा, यूरेनियम, केडमियम, प्लेटिनम,
  • यूरेनियम आण्विक ऊर्जा में प्रयुक्त होने वाली धातु है। 
(ख) सभी अधात्विक खनिजों के नाम :- सिलिका, कोयला, अभ्रक, जिप्सम, वोलस्टोनाइट, एस्बेस्टॉस,
  • जिप्सम राजस्थान में सर्वाधिक पाया जाने वाला अधात्विक खनिज है। 
(ग) सभी रासायनिक रंगों के नाम :- लाल, पीला, नीला, सफ़ेद, हरा, बैंगनी, गुलाबी, काला,
  • इस चादर नीले रंग से रंगवाओ। 
(घ) सभी मादक पदार्थों के नाम :- अफीम, गांजा, चरस, तम्बाकू, अमल, कॉफेन, निकोटीन, एलकोहॉल,
  • तम्बाकू चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। 
(ङ) सभी पेय व खाद्य पदार्थों :- पानी, दूध, दही, छाछ, लस्सी, मट्ठा, शरबत, रस, मदिरा, हलवा, खीर, पनीर, मक्खन, घी, तेल, रोटी, दाल, तरकारी, 
  • छाछ एक ऐसा शीतल पेय है, जो गर्मियों में अमृत तुल्य है। 
(च)  सभी रसायनों के नाम :- पेरासिटामॉल, पेनिसिलिन, पोटेशियम परमेंगनेंट, गंधक, सल्फर,
  • गंधक कृषि में प्रयुक्त होने वाला कीटरोधी रसायन है। 
(छ) सभी गैसों के नाम :- ऑक्सीजन, कार्बन-डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन,
  • ऑक्सीजन ही प्राणियों की जीवनदायिनी गैस है। 
(ख) समूहवाचक/समुदायवाचक संज्ञा :- जिन शब्दों से किसी समूह या समुदाय आदि का बोध हो उन्हें समूहवाचक या समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं। 
        परिवार, समाज, समुदाय, कक्षा, भीड़, रैली, जुलूस, जलसा, आंदोलन, क्रांति, मेला, रेवड़, मवेशी, गुच्छा, जत्था, झुण्ड, वृन्द, कुंज, सेना, दल, फ़ौज, पंक्ति, प्रजा, जनता, लोग, जन, वृन्द, गण, 
  • शिक्षक कक्षा पढ़ा रहे हैं। 
  • सेना ही बाहरी आक्रमणों से प्रजा की रक्षा करती है। 
  • अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था रवाना हो चुका है। 
  • पशु भी झुण्ड में रहना पसंद करते हैं। 
  • विद्यार्थी एक पंक्ति में खड़े हो गए। 
(3) भाववाचक संज्ञा :- जिन शब्दों से किसी संवेग, संवेदना, अनुभूति आदि का बोध हो उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं। 
          हर्ष, विषाद, गर्व, ग्लानि, आह, सुख, दुःख, खेद, क्षमा, विश्वास, आस्था, कृपा, क्रोध, आवेग, मोह, प्रेम, घृणा, त्याग, हिम्मत, साहस, जोश, उत्साह, रोष, भूख, प्यास, पीड़ा, वेदना, चाह, तृष्णा, तृप्ति, वासना, कपट, नींद, भय इत्यादि ऐसी सभी संज्ञाएँ जिन्हें न तो देखा जाये और न ही छुआ जाये केवल महसूस ही किया जाये उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
  • वह तुम्हारी बहुत चिंता करती है। 
  • जवानों  जोश देखा गया। 
  • मर्यादा ही मनुष्यत्व का गहना है। 
  • भूख प्राणी को उत्तेजित कर देती है। 
  • हमारी ईश्वर में आस्था है। 
अन्य शब्दों से बनने वाली भाववाचक संज्ञाएँ 
राम - रामत्व 
कृष्ण - कृष्णत्व 
बच्चा - बचपन 
जवान - जवानी 
पुरुष - पुरुषत्व 
स्वामी - स्वामित्व 
पिता - पितृत्व 
माता - मातृत्व 
गुरु - गुरुत्व 
भाई - भाईचारा 
भ्राता - भ्रातृत्व 
सुन्दर - सौंदर्य 
कायर - कायरता 
विरोध - विरोधी 
हल्का - हल्कापन 
भारी - भारीपन 
वीर - वीरता 
सफल - सफलता 
मीठा - मीठापन, मिठास 
गरीब - गरीबी 
काला - कालापन, कालिख, कालिमा,
ममता - ममत्व 
निजी - निजत्व 
अपना - अपनापन, अपनत्व, अपनापा,
स्व - स्वत्व 
अहम् - अहंकार  

ध्यातव्य बिंदु :- 
1. किसी लाक्षणिक अर्थ में व्यक्तिवाचक संज्ञा भी जातिवाचक संज्ञा मानी जाती है। 
वह  समाज का सबसे बड़ा 'जयचंद' है। 
          इस वाक्य में जयचंद शब्द व्यक्तिवाचक होते हुए भी लाक्षणिक अर्थ (चुगलखोर) के पक्ष में आने के कारण जातिवाचक संज्ञा है। 
2. किसी व्यक्तिवाचक संज्ञा का बहुवचन रूपांतरण होने पर भी वह जातिवाचक संज्ञा बन जाती है। 
इस मंदिर का जीर्णोद्धार 'भामाशाहों' के सहयोग से हुआ है। 
          इस कथन में भामाशाह शब्द व्यक्तिवाचक होते हुए भी बहुवचन में प्रयुक्त होने के कारण जातिवाचक संज्ञा ही माना जायेगा। 
3. किसी जातिवाचक संज्ञा के विशिष्ठ अर्थ में प्रयुक्त होने पर वह व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाती है। 
देश के एकीकरण में 'पटेल' की मुख्य भूमिका थी। 
          इस वाक्य में 'पटेल' शब्द एक जातिवाचक संज्ञा है, लेकिन देश के एकीकरण काल की बात करने पर यह शब्द विशिष्ठ हो कर 'सरदार वल्लभ भाई पटेल' के लिए प्रयुक्त हुआ स्पष्ट होता है, इस कारण यहाँ 'पटेल' शब्द में व्यक्तिवाचक संज्ञा होगी। 
4. किसी भाववाचक संज्ञा का बहुवचन रूपांतरण होने पर उसमे जातिवाचक संज्ञा हो जाती है। 
 अभी वह कई चिंताओं से घिरा है।  या अभी उसे कई चिंताएँ सता रही है। 
          इन वाक्यों में प्रयुक्त मूल शब्द 'चिंता' भाववाचक संज्ञा है, किन्तु 'चिंताओं' या 'चिंताएँ' में बहुवचन होने के कारण अब इन शब्दों में जातिवाचक संज्ञा हो गई है। 
5. वस्तुतः किसी संज्ञा का अपना पूर्वनिर्धारित परिचय नहीं होता है।  उसके प्रयोग की अवस्था ही उसके परिचय का निर्धारण करेगी । 
कमल घर जाता है। 
इस वाक्य में कमल एक व्यक्ति विशेष के नाम हेतु प्रयुक्त होने के कारण निश्चय ही व्यक्तिवाचक संज्ञा है , किन्तु 
तालाब में कमल खिला है। 
इस वाक्य में कमल एक पुष्प विशेष के अर्थ में प्रयुक्त होने के कारण जातिवाचक संज्ञा के रूप में ही स्वीकार किया जायेगा। 
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          मित्रों, संज्ञा अध्याय यहाँ समाप्त हो गया है। अगली पोस्ट में सर्वनाम अध्याय के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथियों अगर अब भी आपने ब्लॉग को Fallow नहीं किया है तो कर ले।  ये ब्लॉग पूर्णतः हिंदी विषय को समर्पित है अतः आगामी पोस्ट निश्चय ही आपके लिए बहुत उपयोगी होने वाले हैं ।
            पोस्ट आपको कैसे लगते है, अवश्य बताते रहें और विषयगत शंकाओं व समस्याओं के बारे भी प्रश्न करते रहें। पोस्ट पर अपने मित्रों व परिचितों को भी आमंत्रित करते रहें। 


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प्रत्यय (तद्धित प्रत्यय) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/pratyay-taddhit-pratyay.html

 संज्ञा (व्यक्तिवाचक और जातिवाचक संज्ञा) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/6.html

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