नमस्कार मित्रों,
आज हम व्याकरण के 'प्रत्यय' अध्याय के बारे में जानेंगे। ये भी व्याकरण का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय है। इसमें हम ये सीखेंगे की किस प्रकार एक शब्द के साथ कोई प्रत्यय जुड़ जाये तो उसके भाव में थोड़ा सा अंतर आ जाता है। वैसे एक ही प्रत्यय विभिन्न शब्दों के साथ जुड़ कर कई प्रकार के भाव प्रगट कर सकता है। जैसे 'नी' प्रत्यय 'कर्म वाचक' भी है और 'करण वाचक' भी है। 'अन' प्रत्यय 'करण वाचक' भी है और 'भाववाचक' भी है। अतः सरल से लगने वाले इस अध्याय का अध्ययन बहुत सूक्ष्मता से करना चाहिए।
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अध्याय - 5
प्रत्यय
जो शब्दांश किसी शब्द के बाद प्रत्युक्त हो कर उसके अर्थ में विशेषता या विस्तार उत्पन्न करते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
(मित्रों, यहाँ ये जान लेना आवश्यक है की उपसर्ग किसी शब्द से पहले जुड़ते हैं, और प्रत्यय किसी शब्द के बाद में जुड़ते हैं। उपसर्ग जुड़ने से शब्द का अर्थ परिवर्तित होता है, जबकि प्रत्यय से अर्थ परिवर्तन नहीं होता है।)
भेद :- उपसर्गों के मुख्य दो भेद होते हैं - (अ) कृदन्त उपसर्ग और (ब) तद्धित उपसर्ग।
(अ) कृदन्त प्रत्यय
जो शब्दांश किसी धातु/क्रियापद के साथ जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता या विस्तार उत्पन्न करते हैं, उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं।
उपभेद :- इसके चार मुख्य भेद होते हैं - (क) कर्तृ वाचक कृदंत (ख) कर्म वाचक कृदंत (ग) करण वाचक कृदंत (घ) भाववाचक कृदंत।
(क) कर्तृ वाचक कृदंत प्रत्यय :- इस प्रत्यय से युक्त शब्दों का अर्थ विस्तार करने पर अंत में 'वाला' जरूर आता है। जैसे घुमक्कड़ - घूमने वाला।
1. अक :- पाठक, लेखक, नर्तक, गायक, धावक, नायक, वादक, मोचक,
2. अक्कड़ :- पियक्कड़, घुमक्कड़, भुलक्कड़, कुदक्कड़
3. आक/आका/आकू :- तैराक, तैराका, लड़ाकू, भिड़ाकू,
4. आड़ी :- खिलाड़ी
5. ऐया :- गवैया, नचैया, रिझैया, मुसकैया,
6. तृ/ता :- कर्तृ, हर्तृ, भर्तृ, कर्ता, हर्ता, भर्ता
7. वाला :- करने वाला, होने वाला, आने वाला, दौड़ने वाला, मरने वाला, सोचने वाला
8. हार :- राखनहार, मारनहार, खेवनहार, होनहार, तारनहार, देनहार,
(ख) कर्म वाचक कृदंत प्रत्यय :- ये प्रत्यय कर्मवत् प्रयुक्त होने वाली संज्ञाओं की रचना करता है।
1. औना :- बिछौना, बिलौना,
2. नी :- ओढ़नी, कथनी,
(ग) करण वाचक कृदंत प्रत्यय :- ये प्रत्यय ऐसी संज्ञाओं की रचना करता है, जिनका प्रयोग वाक्य में साधन के रूप में होता है।
1. अन :- बेलन, बंधन, सेचन, ढक्कन, वहन, भूषण, नयन,
2. इत्र :- जनित्र, खनित्र, पवित्र,
3. नी :- मथनी, घोटनी, कतरनी, छलनी, जननी,
4. त्र :- नेत्र, दात्र, पात्र, धात्र, शास्त्र,
(घ) भाववाचक कृदंत प्रत्यय :- ये प्रत्यय भावगत् प्रयुक्त होने वाली संज्ञाओं की रचना करते हैं।
1. अक :- उठक, बैठक, कसक, लचक, महक, गटक
2. अत :- बचत, पठत, लड़त, सुनत, रटत, उड़त, गावत, गिरत, फिरत,
3. अंत :- पठंत, लिखंत, चढंत, मरंत, भिड़ंत, बजंत, हसंत,
4. अन :- आसन, शयन, कथन, लेखन, नर्तन, वादन, धावन, फिसलन, जकड़न, मचलन, कतरन, खुरचन,
5. अना :- भर्त्सना, पढ़ना, अर्चना, धारणा, स्थापना, वंदना, हारना, साधना, भोगना, रोकना, सिलना,
6. अनीय :- पठनीय, वंदनीय, भ्रमणीय, भाषणीय, सराहनीय, सहनीय, कमनीय, रमणीय, स्मरणीय,
7. आन :- उफान, थकान, उठान, चढ़ान, लगान, मुस्कान, भुगतान, सड़ान,
8. आना :- पढ़ाना, चिड़ाना, उठाना, सिखाना, बताना, सुनाना, कटाना, बढ़ाना,
9. आई :- कटाई, सिलाई, चढ़ाई, उतराई, बताई, गिनाई, पिसाई, छपाई, कढ़ाई,
10. आऊ :- बिकाऊ, टिकाऊ, खुजाऊ, सिखाऊ, भड़काऊ, चलाऊ, कमाऊ, उगाऊ,
11. आव :- कटाव, बहाव, घुमाव, ठहराव, पहनाव, दोहराव, कसाव, लगाव,
12. आवा :- चढ़ावा, उतरावा, दिखावा, छलावा, भुलावा, पछतावा,
13. आवट :- दिखावट, बसावट, कसावट, बुनावट, जमावट, गिरावट, रुकावट, सजावट,
14. आवटी :- सिखावटी, बसावटी, बनावटी, दिखावटी, घुमावटी, मिलावटी,
15. आहट :- घबराहट, बौखलाहट, मुस्कुराहट, कड़कड़ाहट, बड़बड़ाहट, लड़खड़ाहट, झिलमिलाहट,
16. इत :- पठित, लिखित, जपित, भ्रमित, कथित, ग्रसित, त्रसित, वांछित, पोषित, क्रोधित, मूर्च्छित,
17. ओरा :- चटोरा,
18. ओड़ :- हसोड़,
19. औड़ा :- भगौड़ा,
20. औती :- कटौती, मनौती, फिरौती, चुकौती, बिछौती, चुनौती,
21. तव्य :- पठितव्य, गंतव्य, मंतव्य, श्रोतव्य, पातव्य, हर्तव्य, कर्तव्य, वक्तव्य,
22. य :- कार्य, जय, पेय, प्रेय, क्रुध्य, आक्रम्य, विजित्य, प्राकार्य, संबोध्य, अदाय, निग्रह्य, उपगम्य, स्तुत्य,
मित्रों, ये अध्याय काफी विस्तृत है अतः इस अध्याय के शेष भाग को कल पोस्ट करूँगा। पोस्ट आपको कैसी लगी इस के बारे में कमेंट अवश्य करें और नियमित updates पाने के लिए ब्लॉग को follow कर लें।
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