नमस्कार मित्रों,
हिंदी व्याकरण के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अध्याय 'वाक्य' पर आज का पोस्ट आधारित है। सामान्यतः परीक्षा में पूछे जाने वाले हर बिंदु को यहाँ बताया गया है, जिससे आपके अध्ययन में सुगमता और विश्वसनीयता बनी रहे।इसका विशेष रूप से अध्ययन करें, ब्लॉग को Fallow जरूर करें जिससे आगामी अध्यायों के बारे में आपको सूचना प्राप्त होती रहे। पिछले अध्यायों के लिंक नीचे दिए गए हैं। और हाँ Comment जरूर करें।
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अध्याय - 15
वाक्य
परिभाषा :- व्याकरण सम्मत नियमों के अनुसार सार्थक शब्दों का वह समूह जिससे विचार-विनिमय या भाव संप्रेषण हो उसे वाक्य कहते हैं।
उपवाक्य :- जब कोई कथन एक वाक्य में समाप्त न हो कर कई खंड वाक्यों में विभक्त हो वहाँ प्रत्येक खंड वाक्य को उपवाक्य कहते हैं।
भेद :- सामान्यतः उपवाक्य के दो भेद होते हैं - (क) प्रधान उपवाक्य और (ख) आश्रित उपवाक्य
(क) प्रधान उपवाक्य :- जिस खंड वाक्य से किसी कथन का आरंभ तो हो किन्तु भाव पूर्ण न हो उसे प्रधान वाक्य कहते हैं।
(ख) आश्रित उपवाक्य :- प्रधान उपवाक्य के भाव को पूर्ण करने वाले खंड वाक्य को आश्रित उपवाक्य कहते हैं।
उपभेद :- आश्रित उपवाक्य के पुनः तीन भेद होते हैं - 1. संज्ञा आश्रित उपवाक्य, 2. विशेषण आश्रित उपवाक्य और 3. क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य।
[इनके विषय में इसी अध्याय में आगे वाक्य के भेदों में बताया जायेगा। ]
भाग - सामान्यतः वाक्य के दो भाग होते हैं - (अ) उद्देश्य तथा (ब) विधेय
(अ) उद्देश्य :- किसी वाक्य में जिसके विषय में बात की जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं।
जैसे :- मोहन घर जाता है।
इस वाक्य में 'मोहन' के बारे में बात की जा रही है, अतः ये वाक्य का उद्देश्य है।
(ब) विधेय :- वाक्य के उद्देश्य के बारे में जो बात की जाये, उसे विधेय कहते हैं।
जैसे :- मोहन घर जा रहा है।
इस वाक्य के के उद्देश्य 'मोहन' के बारे में 'घर जा रहा है।' बात की जा रही है। अतः रेखांकित कथन विधेय है।
वाक्य के विस्तारक तत्त्व
1. उद्देश्य के विस्तारक :- वाक्य के उद्देश्य के विस्तार को बढ़ने वाले पद उद्देश्य के विस्तारक कहलाते हैं।
(अ) विशेषण, (ब) अव्यय, (स) कारक बंध, (द) पदबंध, (य) क्रिया पद ये सभी उद्देश्य के विस्तारक तत्त्व होते हैं।
➤ काला कुत्ता भौंक रहा है।
इस वाक्य के उद्देश्य 'कुत्ता' का विस्तारक 'काला' पद एक विशेषण है। इसी प्रकार -
- वीर पुरुष बाधाओं से नहीं घबराते।
- छायादार पेड़ गर्मियों में प्राणियों के जीवन रक्षक है।
➤ अचानक, शेर जाग गया।
इस वाक्य में 'अचानक' पद वाक्य का विस्तारक है, जोकि एक अव्यय है। इसी प्रकार-
- कल, मैं गाँव जाने वाला हूँ।
- ऊपर तो मोहन चढ़ा था।
➤ पुत्र लिए पिताजी खिलौने लाए।
इस वाक्य में 'पुत्र के लिए' पद उद्देश्य 'पिताजी' पद के विस्तारक के रूप में प्रयुक्त हुआ है जो की कारक बंध पद है। इसी प्रकार -
- मजदूरों को मालिक ने वेतन दिया।
- मोहित का घर यहाँ से काफी दूर है।
➤ इस बार बरसात अच्छी नहीं होने के कारण किसान खेती नहीं कर पाए।
इस वाक्य में 'इस बार बरसात अच्छी नहीं होने के कारण' ये पूरा वाक्यांश ही पदबंध है, जोकि वाक्य के उद्देश्य 'किसान' का विस्तारक है। इसी प्रकार -
- पिछले तीन दिनों से किसान ने खेतों में सिंचाई नहीं की।
- हमेशा कक्षा में सबसे ज्यादा बोलने वाले तुम आज गुमसुम से क्यों हो ?
➤ खेलते हुए बच्चे आपस में झगड़ कर रोने लगे।
इस वाक्य में 'खेलते हुए' पद वाक्य के उद्देश्य बच्चे का विस्तारक तत्त्व है, जोकि एक क्रियापद है। इसी प्रकार -
- झरते हुए पत्ते पतझड़ ऋतु के आने की सूचना दे रहे हैं।
- भीगे हुए पक्षी ठंडी हवा के कारण मोटी शाखाओं की ओट में बैठ गए।
उक्त सभी वाक्यों में रेखांकित खंड वाक्य का उद्देश्य है और शेष खंड विधेय है।
2. विधेय के विस्तारक तत्त्व :- वाक्य के विधेय भाग में कर्म व क्रिया ये दोनों ही आते हैं अतः इनका अध्ययन भी पृथक्-पृथक् रूप से ही करना पड़ेगा।
(क) कर्म के विस्तारक तत्त्व :- विशेषण, अव्यय, कारक बंध इत्यादि ये कर्म के विस्तारक हैं।
➤ वह बाजार से ताजी सब्जियाँ लाया।
इस वाक्य में 'ताजी' शब्द विशेषण है, जोकि सब्जियाँ (कर्म) की विशेषता बताता है, अतः इस वाक्य में कर्म का विस्तारक पद विशेषण है । इसी प्रकार -
- आज माधव ने नई कमीज पहनी है।
- गुप्तकाल में भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ।
➤ मैंने कल ही पुस्तक खरीदी थी।
इस वाक्य में पुस्तक (कर्म) का विस्तारक पद कल ही (अव्यय) है जोकि विस्तारक के रूप में प्रयुक्त हुआ है। इसी प्रकार -
- मजदूरों ने शायद दीवार गिराई होगी।
- भीड़ ने उत्पात मचा कर सर्वत्र अव्यवस्था ही फैलाई थी।
➤ विहान ने राघव को पाठ समझाया।
इस वाक्य में 'राघव को' कर्म कारक का बंध है, जोकि पाठ (कर्म) का विस्तारक है। इसी प्रकार -
- तूने मुझसे बात छिपाई।
- सुमित मनीष के भाई जीनु को गणित पढ़ता है।
(ख) क्रिया के विस्तारक तत्त्व :- केवल क्रिया विशेषण ही क्रिया के विस्तारक होते हैं।
- सभी यात्री गाड़ी में एक-एक करके चढ़ो।
- तुम गाड़ी बहुत तेज चलते हो।
- अचानक, शेर जाग गया।
- वो यहाँ कभी-कभी आता है।
वाक्यों का वर्गीकरण
वाक्यों का वर्गीकरण मुख्यतः दो आधारों पर किया जा सकता है-
(अ) रचना के आधार पर और (ब) अर्थ के आधार पर
(अ) रचना के आधार पर वाक्यों का वर्गीकरण :- रचना के आधार पर वाक्यों के तीन भेद होते हैं -
(1) सरल/साधारण वाक्य, (2) संयुक्त वाक्य तथा (3) मिश्र वाक्य।
(1) सरल/साधारण वाक्य :- जिन वाक्यों में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय हो उन्हें सरल/साधारण वाक्य कहते हैं।
{सभी सकर्मक व अकर्मक क्रियाओं वाले वाक्य जिनमें एक उद्देश्य और एक ही विधेय हो वे सभी सरल वाक्य ही होते हैं।}
निम्नलिखित सभी वाक्य सरल वाक्य हैं, क्योंकि विश्लेषण करने पर इन सभी वाक्यों में सरल वाक्य के ही लक्षण प्राप्त होते हैं।
- किसान खेत में हल चला रहा है।
- वह अपने मित्र से मिलने उसके घर गया है।
- खेत में एक सूखा ठूंठ पड़ा है।
- जंगल में एक खूंखार शेर रहता था।
(2) संयुक्त वाक्य :- जिन वाक्यों में दो सरल वाक्यों के मध्य कोई समानाधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय प्रयुक्त हो उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं।
राम विद्यालय जाता है।
कृष्ण विद्यालय जाता है।
इन दोनों वाक्यों को जोड़ने पर राम और कृष्ण विद्यालय जाते हैं। वाक्य प्राप्त होता है, जिसमें दोनों सरल वाक्य 'और' इस समानाधिकरण समुच्चय बोधक वाक्य से जुड़े हैं। अतः ये संयुक्त वाक्य है। इसी प्रकार -
- वह ठेले पर सामान भी बेचता है तथा पढ़ता भी है।
- आज दिनभर बदल तो बहुत छाये रहे लेकिन बरसात नहीं हुई हुई।
- रास्ते में मेरी साईकिल पंचर हो गई इसलिए आने में देर हो गई।
- वह एक अच्छा विद्यार्थी ही नहीं बल्कि कुशल खिलाड़ी भी है।
इन सभी वाक्यों में स्थूलीकृत शब्द समानाधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय है, जो दो सरल वाक्यों को जोड़े हुए है अतः ये सब संयुक्त वाक्य है।
(3) मिश्र वाक्य :- जिन वाक्यों में किसी प्रधान उपवाक्य से कोई आश्रित उपवाक्य किसी व्यधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय से जुड़ा हो उन्हें मिश्र वाक्य कहते हैं।
मिश्र वाक्य में आश्रित उपवाक्य के तीन भेद बताए गए हैं - (क) संज्ञा आश्रित उपवाक्य (ख) विशेषण आश्रित उपवाक्य और (ग) क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य
(क) संज्ञा आश्रित उपवाक्य :- किसी प्रधान उपवाक्य से संज्ञा या संज्ञा पदबंध से जुड़े आश्रित उपवाक्य को संज्ञा आश्रित उपवाक्य कहते हैं।
[नोट - सामान्यतः 'कि' इस अव्यय से प्रधान व आश्रित उपवाक्य परस्पर जुड़े रहते हैं। ]
- तुम थोड़ा विचार करके देखो, कि तुम्हारी ये हरकतें किसी को कितना परेशान करती होगी।
- हम स्टेशन पहुँचे ही थे, कि गाड़ी आ गई।
- किसी ने मुझे बताया था, कि तुम्हारी शादी की तिथि निश्चित हो गई है।
(ख) विशेषण आश्रित उपवाक्य :- प्रधान उपवाक्य में प्रयुक्त किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले आश्रित उपवाक्य को विशेषण आश्रित उपवाक्य कहते हैं।
[नोट - सामान्यतः किसी प्रधान उपवाक्य में 'कौन' 'किसे' 'किन्हें' से प्रश्न करने पर प्राप्त होने वाले आश्रित उपवाक्य को विशेषण आश्रित उपवाक्य कहते हैं। ]
- उन्हें माफ़ भी किया जा सकता है, जो कभी तुम्हारे अपराधी रहे हो।
- ईश्वर उन्हें कभी माफ़ नहीं करता है, जिन्होंने किसी गरीब को सताया है।
- अब वो किसी को नहीं सताएगा, जिसे मैंने सबक सीखा दिया है।
(ग) क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य :- प्रधान उपवाक्य में प्रयुक्त किसी क्रिया की विशेषता बताने वाले आश्रित उपवाक्य को क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य कहते हैं।
[नोट - सामान्यतः किसी प्रधान उपवाक्य में 'कब' 'क्यों' 'कहाँ' 'कैसे' व 'कितना' से प्रश्न करने पर प्राप्त होने वाले आश्रित उपवाक्य को क्रिया विशेषण/अव्यय आश्रित उपवाक्य कहते हैं। ]
- मैं तो उसकी चाल तभी समझ गया था, जब उसने तुम्हारे तर्कों का विरोध करना शुरु कर दिया था।
- आज मैं कोई काम नहीं कर पाऊँगा, क्योंकि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
- तुम वहीँ वापस चले जाओ, जहाँ से आये हो।
- हमें कोई काम वैसे ही करना चाहिए, जैसा हमें उसके बारे में समझाया गया हो।
- जिम्मेदारी उतनी ही लेनी चाहिए, जितनी सरलता से निभाई जा सके।
अर्थ के आधार पर वाक्यों का वर्गीकरण :- अर्थ के आधार पर वाक्यों को भागों में बनता गया है -
(1) विधानवाचक वाक्य, (2) निषेधवाचक वाक्य,
(3) प्रश्नवाचक वाक्य, (4) संदेहवाचक वाक्य,
(5) इच्छावाचक वाक्य, (6) आज्ञावाचक वाक्य,
(7) विस्मयादिवाचक वाक्य और (8) संकेतवाचक वाक्य।
(1) विधानवाचक वाक्य :- जो वाक्य किसी आश्चर्य, निषेध, संदेह, प्रश्न, आज्ञा इत्यादि भावों से रहित केवल सकारात्मक में क्रिया का विधान हो, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते हैं। इन्हें सकारात्मक वाक्य भी कहा जाता है है।
- आज मौसम बहुत सुहावना है।
- खेत में मवेशी चर रहे हैं।
- विद्यार्थी पढ़ रहे हैं।
- पिताजी कुछ सामान लेने बाजार गए हैं।
(2) निषेधवाचक वाक्य :- जिन वाक्यों में नकारात्मक या निषेधात्मक भाव प्रगट हो उन्हें निषेधात्मक वाक्य कहते हैं।
[नोट :- सामान्यतः इन वाक्यों में न, नहीं, मत, मनाही, निषेध, निषिद्ध, वर्जित इत्यादि शब्द प्रयुक्त होते हैं।]
- उसका किसी काम में मन नहीं लगता है।
- पुस्तकालय में फालतू बैठना मन है।
- उद्यान में फूल तोड़ना मना है।
(3) प्रश्नवाचक वाक्य :- जिन वाक्यों में किसी वस्तु, तथ्य, घटनादि के विषय में किसी शंका या जिज्ञासा का भाव प्रगट हो उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।
- उसने तुमसे क्या कहा ?
- आपकी यात्रा कैसी रही ?
- इनमें से कौनसी पुस्तक तुम्हें सर्वाधिक प्रिय है ?
{ प्रश्नवाचक वाक्यों के विशेष अध्ययन हेतु सर्वनाम अध्याय के प्रश्नवाचक सर्वनाम को देखें। }
(4) संदेहवाचक वाक्य :- जिन वाक्यों में किसी कार्य के करने या होने में किसी प्रकार की शंका का भाव प्रगट हो उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।
- लगता है, उधर कोई गया है।
- शायद, वहाँ भी बरसात हो रही होगी।
- संभवतः, उसने तुम्हारा कहा काम कर दिया होगा।
(5) इच्छावाचक वाक्य :- जिन वाक्यों में किसी इच्छा, आकांक्षा, चाह, कामना, आशीर्वाद इत्यादि भाव प्रगट हो उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।
- ईश्वर तुम्हें सदा सुखी रखे।
- काश वो दिन फिर से लौट आए।
- भगवान करे वे सकुशल लौट आए।
(6) आज्ञावाचक वाक्य :- जिन वाक्यों में किसी आज्ञा, अनुमति, निवेदन आदि भाव प्रगट हो, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं।
- कृपया जूते बाहर उतारें।
- आप यहाँ बैठने की कृपा करें।
- तुम ये कार्य आज ही करोगे।
- अब आप जा सकते हैं।
(7) विस्मयादिवाचक वाक्य :- जिन वाक्यों में आश्चर्य, शोक, घृणा, उल्लास आदि भाव प्रगट हो, उन्हें विस्मयादिवाचक वाक्य कहते हैं।
- अहा! ये फल तो बाहर मीठे और रसीले हैं।
- छिः! वहाँ कितनी गंदगी बिखरी पड़ी है।
- आह! बहुत सिर दर्द हो रहा है।
- अरे! देखो यहाँ कितना सुन्दर फूल खिला है।
(8) संकेतवाचक वाक्य :- जिन वाक्यों में किसी एक कार्य का करना या होना किसी दूसरे कार्य के करने या होने पर निर्भर हो उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।
- अगर तुम मनाओगे तो वो जरूर मान जायेगा।
- केवल आपके कहने पर ही वह पढ़ाई करता है।
- तुम्हारे बुलाने पर ही वह यहाँ आया था।
- बरसात होगी तो मोर नाचेंगे।
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कैसा लगा आज का टॉपिक Comment करके अवश्य बताएं । अगली पोस्ट में हम 'पदबंध' अध्याय पर चर्चा करेंगे। अगर ये पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर अवश्य करें और ब्लॉग को Fallow जरूर कर लें।
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प्रत्यय (तद्धित प्रत्यय)
संज्ञा (व्यक्तिवाचक संज्ञा और जातिवाचक संज्ञा)
संज्ञा (पदार्थवाचक, समूहवाचक और भाववाचक संज्ञा )
अव्यय (समुच्चयबोधक अव्यय)
अव्यय (संबंधबोधक अव्यय)
अव्यय (विस्मयादि बोधक अव्यय)