नमस्कार मित्रों,
मैं दीपक सिखवाल, अपने Google Blog पर आपका स्वागत करता हूँ। आज हिंदी व्याकरण के एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण अध्याय 'सन्धि' के विषय मैं पोस्ट करने जा रहा हूँ। आशा है ये आपको पसंद आएगा। साथियों पोस्ट में केवल स्वर संधि बारे में ही लिख पाऊँगा। तो शुरू करते हैं, आज का टॉपिक...
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अध्याय - 2
संधि का सामान्य परिचय
मित्रों पहले तो जान लेते हैं, कि 'संधि' का शाब्दिक अर्थ है - जोड़ना। इसमें वर्णों को जोड़ा जाता है।
अब ये समझ लेना चाहिए कि संधि वाचन का विषय है न की लेखन का। क्योंकि संधि शब्दों के मध्य तब होती है जब हम शब्दों का वाचन करते हैं।
सन्धि का मूल आलम्बन (मुख्य आधार) है - ध्वनि। क्योंकि वर्ण और अक्षर तो लेखन का विषय है, जबकि ध्वनि ही वाचन का विषय है। वाचन की प्रक्रिया में जब इ + अ को अत्यंत निकट लाते हुए दोनों का एक साथ वाचन करेंगे तो 'य' का उच्चारण होगा। इसी प्रकार उ + अ का व होगा। ये परिवर्तन केवल स्वरों में ही नहीं व्यंजनों में भी होता है , यथा क् + ग के योग में हल् (क्) का 'ग्' हो जाता है अगर बाद में कोई स्वर वर्ण हो तो फिर व्यंजन वर्ण हल् नहीं हो कर पूर्ण हो जाता है, और संबंधित स्वर की मात्रा का योग हो जाता है, जैसे क् + अ, आ, इ, ई, इत्यादि का क, का, कि, की इत्यादि हो जाता है। स्वर का योग किसी भी वर्ण के साथ मात्रा के रूप में होता है।
परिभाषा :- दो वर्णों के परस्पर मेल से होने वाले ध्वनि परिवर्तन को संधि कहते हैं।
भेद :- संधि के तीन मुख्य भेद होते हैं - (क) स्वर संधि, (ख) व्यंजन संधि तथा (ग) विसर्ग संधि।
स्वर संधि
(अ) स्वर संधि :- दो स्वर वर्णों के योग से होने वाले ध्वनि परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं।
(इस संधि में योग तो केवल स्वरों का होता है, किन्तु निर्मित होने वाली ध्वनि व्यंजन हो सकती है।)
उपभेद :- स्वर संधि के पाँच उपभेद होते है - 1. दीर्घ संधि, 2. गुण संधि, 3. वृद्धि संधि, 4. यण संधि तथा 5. अयादि संधि।
1. दीर्घ संधि :- अ/आ, इ/ई तथा उ/ऊ के बाद यदि समान स्वर (अ/आ, इ/ई तथा उ/ऊ) हो तो स्वर क्रमशः दीर्घ (आ, ई तथा ऊ) हो जाते हैं।
(इसमें प्रयुक्त होने वाले स्वर अ/आ, इ/ई तथा उ/ऊ ही हैं। ऋ स्वर के दीर्घ रूप को हिंदी व्याकरण में मृत स्वर माना गया है अतः इसके बारे में पढ़ने की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है।)
(अ) अ/आ + अ/आ = आ
विंध्य + अचल
विंध्य् + अ + अ + चल
विंध्य् + आ + चल
विंध्याचल
अ + अ = आ
तीर्थ + अटन = तीर्थाटन
देव + अर्पण = देवार्पण
काव्य + अंश = काव्यांश
देश + अंतर = देशांतर
अ + आ = आ
देव + आलय = देवालय
पूर्व + आग्रह = पूर्वाग्रह
देव + आराधना = देवाराधना
कर्म + आश्रित = कर्माश्रित
आ + अ = आ
निशा + अंधकार = निशांधकार
माया + अधिपति = मायाधिपति
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
करुणा + अमृत + करुणामृत
आ + आ = आ
कला + आश्रित = कलाश्रित
दया + आर्द्र = दयार्द्र
मिथ्या + आचार = मिथ्याचार
कृपा + आकांक्षी
(ब) इ/ई + इ/ई = ई
अति + इन्द्रिय
अत् + इ + इ + न्द्रिय
अत् + ई + न्द्रिय
अतीन्द्रिय
इ + इ = ई
अग्नि + इतर = अग्नीतर
मणि + इंद्र = मणीन्द्र
प्रति + इति = प्रतीति
रवि + इंद्र = रवींद्र
इ + ई = ई
अभि + ईप्सा = अभीप्सा
परि + ईक्षा = परीक्षा
कपि + ईश = कपीश
वि + ईक्षक = वीक्षक
ई + इ = ई
महती + इच्छा = महतीच्छा
शची + इंद्र = शचीन्द्र
पृथ्वी + इतर = पृथ्वीतर
देवी + इच्छा = देवीच्छा
ई + ई = ई
योगी + ईश्वर = योगीश्वर
गौरी + ईश = गौरीश
रजनी + ईश = रजनीश
लक्ष्मी + ईश्वर = लक्ष्मीश्वर
(स) उ/ऊ + उ/ऊ =ऊ
मधु + उत्सव
मध् + उ + उ + त्सव
मध् + ऊ + त्सव
मधूत्सव
उ + उ = ऊ
अनु + उदित = अनूदित
प्रभु + उपासना = प्रभूपासना
बहु + उद्देश्य = बहुद्देश्य
लघु + उत्तर = लघूत्तर
उ + ऊ = ऊ
सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
भानु + ऊष्मा = भानूष्मा
बहु + ऊर्जा = बहूर्जा
लघु + ऊर्मिका = लघूर्मिका
ऊ + उ = ऊ
भू + उत्पत्ति = भूत्पत्ति
सरयू + उद्गम = सरयूद्गम
वधू + उत्सव = वधूत्सव
चमू + उत्साह = चमूत्साह
ऊ + ऊ = ऊ
भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
भू + ऊष्मा = भूष्मा
सरयू + ऊर्जा = सरयूर्जा
भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
2. गुण संधि :- अ/आ के बाद यदि इ/ई, उ/ऊ तथा ऋ हो तो क्रमशः ए, ओ, तथा अर् हो जाता है।
राधा + इय = राधेय
पिपासा + इच्छा = पिपासेच्छा
राका + ईश = राकेश
यथा + इष्ट + यथेष्ट
आ + ई = ए
गुडाका + ईश = गुडाकेश
मिथिला + ईश्वर = मिथिलेश्वर
महा + ईप्सा = महेप्सा
कमला + ईश = कमलेश
(ब) अ/आ + उ/ऊ = ओ
गर्व + उन्नत
गर्व् + अ + उ + न्नत
गर्व् + ओ + न्नत
गर्वोन्नत
अ + उ = ओ
भाग्य + उदय = भाग्योदय
विवाह + उपरांत = विवाहोपरांत
फाग + उत्सव = फागोत्सव
ज्ञान + उदय = ज्ञानोदय
अ + ऊ = ओ
शीत + ऊष्ण = शीतोष्ण
सूर्य + ऊर्जा = सूर्योर्जा
ज्ञान + ऊष्मा = ज्ञानोष्मा
नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा
आ + उ = ओ
विद्या + उन्मुखी = विद्योन्मुखी
महा + उत्कंठा = महोत्कण्ठा
होलिका + उत्सव = होलिकोत्सव
शिला + उत्कीर्ण = शिलोत्कीर्ण
आ + ऊ = ओ
महा + ऊर्मि = महोर्मि
धारा + ऊष्ण = धारोष्ण
गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मी
धरा + ऊर्जा = धरोर्जा
(स) अ/आ + ऋ = अर्
वर्षा + ऋतु
वर्ष् + आ + ऋ + तु
वर्ष् + आर् + तु
वर्षार्तु
अ + ऋ = अर्
धन + ऋद्धि = धनर्द्धि
ज्ञान + ऋत = ज्ञानर्त
शिशिर + ऋतु = शिशिरर्तु
पुरुष + ऋषभ = पुरुषर्षभ
आ + ऋ = अर्
दाता + ऋण = दातर्ण
राजा + ऋषि = राजर्षि
महा + ऋक्ष = महर्क्ष
माता + ऋण = मातर्ण
3. वृद्धि संधि :- अ/आ के बाद यदि ए/ऐ या ओ/औ हो तो क्रमशः ऐ तथा औ हो जाता है।
(अ) अ/आ + ए/ऐ = ऐ
हित + एषि
हित् + अ + ए + षि
हित् + ऐ + षि
हितैषी
अ + ए = ऐ
आ + ए = ऐ
वित्त + एषणा = वित्तैषणा
जन + एकता = जनैकता
विश्व + एक = विश्वैक
एक + एव = एकैव
अ + ऐ = ऐ
गज + ऐरावत = गजैरावत
परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
विचार + ऐक्य = विचारैक्य
स्व + ऐच्छिक = स्वैच्छिक
आ + ए = ऐ
सहसा + एव = सहसैव
महा + एषणा = महैषणा
तदा + एव = तदैव
वसुधा + एव = वसुधैव
आ + ऐ = ऐ
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
गंगा + ऐश्वर्य = गंगैश्वर्य
सदा + ऐश्वर्य = सदैश्वर्य
(ब) अ/आ + ओ/औ = औ
जल + ओघ = जलौघ
जल् + अ + ओ + घ
जल् + औ + घ
जलौघ
अ + ओ = औ
जल + ओक = जलौक
परम + ओजस्वी = परमौजस्वी
तण्डुल + ओदन = तंदुलौदन
दीर्घ + ओक = दीर्घौक
अ + औ = औ
परम + औदार्य = परमौदार्य
मंत्र + औचार्य = मंत्रौच्चार्य
प्र + औद्योगिक = प्रौद्योगिक
देव + औपगम्य = देवौपगम्य
आ + ओ = औ
महा + ओज = महौज
महा + ओक = महौक
महा + ओजस्वी = महौजस्वी
आ + औ = औ
महा + औषधि = महौषधि
महा + औदार्य = महौदर्य
महा + औत्कण्ठ्य
4. यण संधि :- इ/ई, उ/ऊ तथा ऋ के बाद यदि कोई असमान स्वर हो तो क्रमशः य्, व् तथा र् हो जाता है।
(नोट :- इसमें य्, व् तथा र् से पूर्व वर्ण सदैव हल् होता है। तथा बाद वाले स्वर की मात्रा का योग सदैव य्, व् तथा र् के साथ होता है।)
(विशेष :- हालाँकि इतना ही नहीं है ऐसी कुछ विशेषताएँ प्रत्ययों में भी पाई जाती है, अतः उदाहरणों का अध्ययन सावधानी से करना चाहिए।)
(अ) इ/ई + आसमान स्वर = य् (स्वर का योग)
(इ/ई + अ = य, इ/ई + आ = या, इ/ई + उ = यु, इ/ई + ऊ = यू, इ/ई + ए = ये इ/ई + ऐ = यै, इ/ई + ओ = यो, इ/ई + औ = यौ)
प्रति + उत्तर
प्रत् + इ + उ + त्तर
प्रत् + यु + त्तर
प्रत्युत्तर
विधि + अनुसार = विद्यनुसार
यदि + अपि = यद्यपि
रीति + अनुसार = रीत्यनुसार
हरि + आज्ञा = हर्याज्ञा
कपि + उद्दंड = कप्युद्दण्ड
वृद्धि + अंतर = वृद्ध्यन्तर
त्रि + अंबक = त्र्यंबक
अति + ऊर्ध्व = अत्यूर्ध्व
अग्नि + अस्त्र = अग्न्यस्त्र
राशि + अंतर = राश्यंतर
वाणी + औचित्य = वाण्यौचित्य
देवी + अर्पण = देव्यर्पण
अति + अल्प = अत्यल्प
गति + अवरोध = गत्यवरोध
नदी + उद्गम = नद्युद्ग्म
परि + अंक = पर्यंक
वि + आस = व्यास
(ब) उ/ऊ + आसमान स्वर = व् (स्वर का योग)
उ/ऊ + अ = व, उ/ऊ + आ = वा, उ/ऊ + इ = वि उ/ऊ + ई = वी उ/ऊ + ऋ = वृ उ/ऊ + ए = वे
उ/ऊ + ऐ = वै उ/ऊ + ओ = वो उ/ऊ + औ = वौ
बहु + ऐश्वर्य
बह् + उ + ऐ + श्वर्य
बह् + वै + श्वर्य
बह्वैश्वर्य
मधु + आदि = मध्वादि
गुरु + अर्चना = गुर्वर्चना
साधु + आचरण = साध्वाचारण
मृदु + आशय = मृद्वाशय
तनु + अंगी = तन्वंगी
बहु + अंतर = बह्वन्तर
सु + आगत = स्वागत
परमाणु + अस्त्र = परमाण्वस्त्र
अनु + इष्ट = अन्विष्ट
पशु + आदि = पश्वादि
लघु + इच्छा = लघ्विच्छा
बहु + ईश्वर = बह्वीश्वर
अनु + ईक्षा = अन्वीक्षा
मधु + आचार्य = मध्वाचार्य
भृगु + आदि = भृग्वादि
अनु + आगमन = अन्वागमन
भृगु + ऋषि = भृग्वृषि
(स) ऋ + आसमान स्वर = र् (स्वर का योग)
ऋ + अ = र, ऋ + आ= रा, ऋ + इ = रि, ऋ + री, ऋ + उ = रु, ऋ + ऊ = रू, ऋ + ए = रे,
ऋ + ऐ = रै, ऋ + ओ = रो, ऋ + औ = रौ
ज्ञातृ + उक्ति
ज्ञात् + ऋ + उ + क्ति
ज्ञात् + रु + क्ति
ज्ञा + त् + रु + क्ति
ज्ञात्रुक्ति
कर्तृ + ऐश्वर्य = कर्त्रैश्वर्य
ज्ञातृ + अर्थ = ज्ञात्रर्थ
मातृ + आदेश = मात्रादेश
पातृ + अर्थ = पात्रर्थ
ज्ञातृ + अंश = ज्ञात्रर्थ
कर्तृ + ईश्वर = कर्त्रीश्वर
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
दातृ + इच्छा = दात्रिच्छा
कर्तृ + आराधना = कर्त्राराधना
धातृ + उपाख्यान = धात्रुपाख्यान
5. अयादि संधि :- ए, ऐ, ओ तथा औ के बाद यदि कोई भी स्वर हो तो क्रमशः अय्, आय्, अव् तथा आव् हो जाता है।(नोट :- इसमें य्, तथा व् से पूर्व हमेशा अ/आ स्वर होता है। तथा बाद वाले स्वर की मात्रा का योग सदैव य् तथा व् के साथ होता है।)
(विशेष :- यहाँ भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ऐसी ही कुछ विशेषताएँ प्रत्ययों में भी पाई जाती है, अतः उदाहरणों का अध्ययन सावधानी से करना चाहिए।)
(अ) ए + स्वर = अय्
ए + अ = अय, ए + आ = अया, ए + इ =अयि, ए + ई = अयी, ए + उ = अयु, ए + ऊ = अयू,
ए + ए = अये, ए + ऐ = अयै, ए + ओ = अयो, ए + औ = अयौ
ने + अन
न् + ए + अ + न
न् + अय + न
नयन
चे + अन = चयन
पे + अ + पय
संचे + इनी = संचयिनी
जे + अंती = जयंती
विले + अन = विलयन
संजे + अ = संजय
शे + अन = शयन
पे + अस = पयस
विजे + उद्घोष = विजयुद्घोष
संचे + अन = संचयन
संचे + अ = संचय
(ब) ऐ + स्वर = आय्
ऐ + अ = अय, ऐ + आ = अया, ऐ + इ = अयि, ऐ + ई = अयी, ऐ + उ = अयु, ऐ + ऊ = अयू,
ऐ + ए = अये, ऐ + ऐ = अयै, ऐ + ओ = अयो, ऐ + औ = अयौ
पै + अस
प् + ऐ + अ + स
प् + आय + स
पायस
गै + इका = गायिका
गै + अन = गायन
विधै + अक = विधायक
संचै + अक = संचायक
दै + इका = दायिका
नै + अक = नायक
विधै + इका = विधायिका
गै + इका = गायिका
कै + इक = कायिक
विलै + अक = विलायक
नै + इका = नायिका
(स) ओ + स्वर = अव्
ओ + अ = अव, ओ + आ = अवा, ओ + इ = अवि, ओ + ई = अवी, ओ + उ = अवु, ओ + ऊ = अवू,
ओ + ए = अवे, ओ + ऐ = अवै, ओ + ओ = अवो, ओ + औ = अवौ
पो + अन
प् + ओ +अ + न
प् + अव + न
पवन
भो + अन = भवन
विभो + अ = विभव
गो + ईश्वर = गवीश्वर
नो + आयुध = नवायुध
नो + आचार = नवाचार
गो + उपकार = गवुपकार
पो + इत्र = पवित्र
भो + अति = भवति
(द) औ + स्वर = आव्
औ + अ = आव, औ + आ = आवा, औ + इ = आवि, औ + ई = आवी, औ + उ = आवु, औ + ऊ = आवू,
औ + ए = आवे, औ + ऐ = आवै, औ + ओ = आवो, औ + औ = आवौ
पौ + अक
प् + औ + अ + क
प् + आव + क
पावक
पौ + अन = पावन
विभौ + अरी = विभावरी
धौ + अक = धावक
धौ + इका = धाविका
पौ + अस = पावस
नौ + इक = नाविक
भौ + उक + भावुक
Nyc sir ji
ReplyDeleteNyc sir ji
ReplyDeleteनमस्ते गुरु
ReplyDeleteनमस्ते गुरु
ReplyDeleteVery nice 👌😊👍👌
ReplyDeleteGreat work awesome
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