Thursday, May 21, 2020

Visarg Sandhi

नमस्कार मित्रों,
       आज संधि अध्याय का अंतिम भाग 'विसर्ग संधि' को पोसर कर रहा हूँ, और आशा करता गन की मेरे इस छोटे से प्रयास से आपको अवश्य मदद मिलेगी। ब्लॉग को सब्सक्राइब अवश्य क्र लें ताकि आगामी अपडेट्स आपको नियमित रूप से मिलते रहे। आइये अब शुरू करते हैं आज का टॉपिक---
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विसर्ग संधि 

विसर्ग संधि :- विसर्ग के बाद किसी स्वर या व्यंजन के योग से होने वाले परिवर्तन ध्वनि परिवर्तन को  संधि कहते हैं।

(यहाँ यह भी जान लेना आवश्यक है, की विसर्ग का प्रयोग किसी हल् (स्वर रहित व्यंजन के साथ) के साथ ही होता है, अर्थात इसका योग निश्चय ही किसी स्वर के ही होता है।)

नियम :- 1. विसर्ग के बाद सत्व (श, ष, स) या किसी वर्ग के प्रथम व द्वितीय वर्ण हो तो विसर्ग का भी सत्व हो जाता है।

(विशेष :- विसर्ग से पूर्व कोई भी स्वर हो सकता है।)

(क) स्वर + ः + श, च, छ = श्श, श्च, च्छ 

निः + शेष = निश्शेष 
निः + शुल्क = निश्शुल्क
दुः + शील = दुःशील
निः + चल = निश्छल
दुः + चरित्र = दुश्चरित्र
बहिः + चर्या = बहिश्चार्य
पुनः + चेतना = पुनश्चर्या
अंतः + चरण = अन्तश्चरण
मनः + चिकित्सा = मनश्चर्या
दुः + चर्या = दुश्चर्या
दुः + शासन = दुश्शासन 


(ख) स्वर + ः + ष, क, ट, ठ, प, फ = ष्ष, ष्क, ष्ट, ष्ठ, ष्प, ष्फ

चतुः + षष्ठी = चतुष्षष्ठी
त्रयः + षष्ठी = त्रयष्षष्ठी
निः + काम = निष्काम 
दुः + प्रभाव = दुष्प्रभाव
निः + फल = निष्फल
दुः + परिणाम = दुष्परिणाम
निः + परिणाम = निष्परिणाम
दुः + कर्म = दुष्कर्म
निः + क्रिया = निष्क्रिय


(ग) स्वर + ः + स, त, = स्स, स्त

निः + सह = निस्सह
दुः + साहस = दुस्साहस
निः + तेज = निस्तेज
दुः + तर = दुस्तर
बहिः + ताप = बहिस्ताप
निः + तारण = निस्तारण

नियम :- 2. विसर्ग के बाद यदि किसी वर्ग के तृतीय, चतुर्थ व अंतःस्थ वर्ण या कोई स्वर वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान पर 'र्'  हो जाता है।
(विशेष :- विसर्ग से पूर्व कोई भी स्वर हो सकता है।)
१. स्वर + ः + ग, घ, ज, झ, ड, ढ, द, ध, ब, भ, य, र, ल, व = विसर्ग के स्थान पर 'र्')
अन्तः + गत = अंतर्गत 
अन्तः + द्वंद्व = अंतर्द्वंद्व 
अन्तः + धान = अंतर्धान 
अन्तः + यामी = अंतर्यामी 
पुनः + जन्म = पुनर्जन्म 
पुनः + भरण = पुनर्भरण 
पुनः + मिलन = पुनर्मिलन 
पुनः + गठन = पुनर्गठन 
निः + गत = निर्गत 
निः + जन = निर्जन 
निः + धन = निर्धन 
निः + बाधा = निर्बाध 
दुः + भिक्ष = दुर्भिक्ष 
दुः + मति = दुर्मति 
दुः + दशा = दुर्दशा 
दुः + लंघ्य = दुर्लंघ्य 
दुः + विचार = दुर्विचार 
चतुः + दिक् = चतुर्दिक्  
चतुः + वेद = चतुर्वेद 
चतुः + मुखी = चतुर्मुखी 

२. स्वर + ः + स्वर = विसर्ग के स्थान पर 'र्'
अन्तः + अंग = अंतरंग 
अन्तः + आराधना = अंतराराधना 
अन्तः + इक्ष = अंतरिक्ष 
पुनः + आवृत्ति = पुनरावृत्ति 
पुनः + आवृत्ति = पुनरावृत्ति 
पुनः + इच्छा = पुनरीच्छा 
पुनः + उक्ति = पुनरुक्ति 
निः + उक्ति = निरुक्त 
निः + आदर = निरादर 
निः + उत्तर = निरुत्तर 
निः + उत्साह = निरुत्साह 
दुः + आग्रह = दुराग्रह 
दुः + अंत = दुरंत 
दुः + उत्साह = दुरूत्साह 
दुः + आचार = दुराचार 
चतुः + आनन = चतुरानन 
चतुः + अंग = चतुरंग 

नियम 3. इ/उ के बाद विसर्ग और उसके बाद यदि 'स/श/ष' हो तो विकल्प से विसर्ग यथावत् भी रहता है। 
सूत्र : इ/ई + ः + श/ष/स = विसर्ग यथावत्
निः + शेष = निःशेष
निः + शुल्क = निःशुल्क
निः + संताप = निःसंताप 
निः + संदेह = निःसंदेह 
दुः + शील = दुःशील
दुः + शासन = दुःशासन 
दुः + साहस = दुःसाहस 
दुः + साध्य = दुःसाध्य 
चतुः + षष्ठी = चतुःषष्ठी

नियम :- 4. विसर्ग के बाद यदि क/प हो तो विसर्ग यथावत्  रहता है। 
अन्तः + करण = अंतःकरण 
मनः + कामना = मनःकामना 
पुनः + कृत = पुनःकृत 
प्रातः + काल = प्रातःकाल 
पयः + पूरित = पयःपूरित 
पुनः + पोषित = पुनःपोषित 
यशः + पताका = यशःपताका 
यशः + प्राप्ति = यशःप्राप्ति
अन्तः + पुर + अंतःपुर 

नियम :- 5. इ/उ के बाद विसर्ग और उसके बाद यदि 'र' हो तो पूर्व स्वर दीर्घ और विसर्ग का लोप हो जाता है। 
निः + रोग = नीरोग 
निः + रस = नीरस 
निः + रव = नीरव 
निः + रंजन + नीरंजन  

नियम :- 6. अ स्वर के बाद विसर्ग और उसके बाद यदि कोई भी व्यंजन वर्ण हो तो विसर्ग का  उत्व विधान हो कर  पूर्व स्वर के साथ गुण ओ हो जायेगा। 
सूत्र : अ + ः + व्यंजन = विसर्ग के स्थान पर ओ
मनः + गति = मनोगति 
मनः + ज = मनोज 
मनः + दशा = मनोदशा 
मनः + नयन = मनोनयन 
मनः + योग = मनोयोग 
मनः + रंजन = मनोरंजन 
मनः + विज्ञान = मनोविज्ञान 
यशः + गाथा = यशोगाथा 
यशः + बल = यशोबल 
यशः + भार = यशोभार 
यशः + दा + यशोदा 
पयः + धि = पयोधि 
अधः + गति = अधोगति 
अधः + भाग = अधोभाग 
अधः + मुखी = अधोमुखी 
अधः + भूमि = अधोभूमि 

नियम :- 7. विसर्ग युक्त अकारान्त अव्यय के बाद यदि इ/ए हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। 
अतः + एव = अतएव 
यशः + इच्छा = यशइच्छा 
सः + एव = सएव 
सः + इव = सइव 

(आपकी मांग और हित को ध्यान में रखते हुए शीघ्र ही अध्यायवार वीडियो भी मैं सम्बद्ध अध्याय के साथ ही पोस्ट कर दूंगा जिससे आपकी कई समस्याओं का समाधान हो जायेगा।)


(मेरे परम मित्र, प्रसिद्ध शिक्षा मनोविज्ञान विशेषज्ञ, व कृतिका पब्लिकेशन के प्रकाशक डॉ. अनिल सिखवाल सर की अनुपम कृति इस पुस्तक को आप पढ़ें और REET, शिक्षक ग्रेड II, और व्याख्याता भर्ती परीक्षा निश्चित सफलता प्राप्त करें। मेरा विश्वास है की ये पुस्तक आपके लिए एक श्रेष्ठ मार्गदर्शक सिद्ध होगी।)

               मित्रों कैसी लगी ये पोस्ट, इसके बारे में कोई सुझाव या टॉपिक संबंधी किसी भी जानकारी के बारे में कमेंट अवश्य करें।

पिछले पोस्ट के लिंक नीचे दिए गए हैं
हिंदी भाषा की संवैधानिक स्थिति का लिंक https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/blog-post_18.html


संधि (स्वर संधि) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/google-blog.html


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