Sunday, May 31, 2020

7. Sarvnaam

नमस्कार मित्रों,
          आज हम पद परिचय खंड के दुसरे अध्याय 'सर्वनाम' के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। मित्रों अगर आपने अभी इस ब्लॉग को Follow नहीं किया है, तो जल्दी कर लें। ये प्रतियोगी परीक्षाओं में आपकी बहुत मदद करने वाला है।

अध्याय - 7
सर्वनाम 
        मित्रों, सर्वनाम शब्द दो शब्दों 'सर्व' (सबसे) 'नाम' (संज्ञा) से मिलकर बना है। जिसका तात्पर्य है किसी भी नाम के साथ या उनके स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द। 
परिभाषा :- जो शब्द किसी संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते है, उन्हें सर्वनाम कहते हैं। 
भेद :- सर्वनाम शब्दों के छह भेद होते हैं - 
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम 
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम 
(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम 
(4) निजवाचक सर्वनाम 
(5) प्रश्नवाचक सर्वनाम और 
(6) संबंधवाचक सर्वनाम।
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम :- जो सर्वनाम शब्द स्त्रीलिंग व पुल्लिंग दोनों प्रकार के शब्दों के लिया सामान रूप से प्रयुक्त हो उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।
(ये सर्वनाम हमेशा कर्ता के रूप में ही प्रयुक्त होते हैं।) 
ये पुनः तीन (३) प्रकार के होते हैं - 
(अ) प्रथम/अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम 
(ब) मध्यमपुरुष वाचक सर्वनाम और 
(स) उत्तमपुरुषवाचक सर्वनाम 

(अ) प्रथम/अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम :- किसी अन्य कर्ता हेतु प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम शब्द को ही प्रथम/अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। 
जैसे :- वह, वे यह, ये, वो, इस, उस, इन, उन, (इन सर्वनाम शब्दों के साथ
सभी कारक चिह्न प्रयुक्त हो सकते हैं।)
उदाहरण :-
  • वह घर जा रहा है। 
  • वे मेरे मित्र हैं। 
  • यह तो अभी सो रहा है। 
  • ये पास जाने पर उड़ जायेंगे। 
  • इसने आज मेरी कमीज पहनी है। 
  • उसको/उसे कल बाजार में देखा था। 
  • इनसे पहाड़ पर नहीं चढ़ा जाएगा। 
  • उनके लिए भी आज भोजन की व्यवस्था कर देना। 
(ब) मध्यमपुरुष वाचक सर्वनाम :- श्रोता के लिए प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम शब्दों को मध्यमपुरुष वाचक सर्वनाम कहते हैं। 
जैसे :- तू, तुम, आप (इन सर्वनाम शब्दों के साथ सभी कारक चिह्न प्रयुक्त हो सकते हैं।)
उदाहरण :- 
  • तू चुप रह। (अशिष्टतार्थ )
  • तू तो मेरा प्यारा बेटा है। (घनिष्टतार्थ)
  • तू तो निरा गधा ही बना रहेगा। (हीनतार्थ)
  • तुम सब जानते हो। (सामान्य शिष्टतार्थ)
  • आप तो हमारे लिए पितृतुल्य हैं। (विशिष्टतार्थ)
  • तेरा/तुम्हारा/आपका नाम क्या है। 
  • तुझे/तुम्हें/आपको यहाँ सब जानते हैं। 
  • तुझसे/तुमसे/आपसे सब जलते हैं। 
(स) उत्तमपुरुषवाचक सर्वनाम :- वक्ता के लिए प्रयुक्त होने वाले शब्दों को उत्तमपुरुष वाचक सर्वनाम कहते हैं। 
जैसे :- मैं, हम, (इन सर्वनाम शब्दों के साथ सभी संबंध कारक को छोड़ कर 
शेष सभी कारक चिह्न प्रयुक्त हो सकते हैं।)
उदाहरण :- 
  • मैं अभी पढ़ना चाहता हूँ। 
  • हम सब एक हैं। 
  • मैंने कल एक सपना देखा। 
  • हमें नियमित रूप से समाचार देखना चाहिए। 
  • मुझसे ये बात छिपी नहीं है। 
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम :- जो शब्द किसी निश्चयता को बताने हेतु संज्ञा के आलावा किन्हीं अन्य शब्दों से पूर्व प्रयुक्त होते हैं, उन्हें निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे :- यह, ये, वह, वे, वो, इस, इन, उस, उन (इन सर्वनाम शब्दों के साथ कारक चिह्न नहीं 
जुड़ते और न ही कभी कर्ता के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
  • वह एक दिन चला जायेगा।
  • यह अब कुछ भी उपयोग में आने योग्य नहीं है। 
  • इस रोचक पुस्तक को बार-बार पढ़ने का मन करता है। 
  • उस फिसड्डी से कोई कार्य ठीक से नहीं होता। 
(ध्यान रहे संज्ञा से पूर्व प्रयुक्त सर्वनाम 'संकेतवाचक/सार्वनामिक विशेषण' कहलाते हैं।)

(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम :- जो सर्वनाम शब्द किसी अनिश्चयता का बोध करते हैं, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। 
जैसे :- कोई, कुछ, किसी,
  • उस जगह कोई आता-जाता रहता है। 
  • गगन जरूर हमसे कुछ छिपा रहा है। 
  • परिश्रम करने वाले किसी दिन अवश्य सफल होते हैं। 
  • हो न हो उससे कोई गलती हुई है। 
  • दाल में कुछ काला है। 
  • बाहर कोई तुझे आवाज दे रहा है। 
(4) निजवाचक सर्वनाम :- किसी कर्म अथवा क्रिया को स्वयं कर्ता पर ही अवलम्बित करने हेतु जिन सर्वनाम शब्दों को प्रयुक्त किया जाये उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। 
जैसे :- आप, अपने आप, अपना, स्वयं, खुद, निज, स्व, स्वतः, मेरा, हमारा,
  • अपना काम आप करो। 
  • रमन अपने कपड़े खुद धोता है। 
  • सभी सिपाही अपना मोर्चा संभाल लें। 
  • राजा निज कक्ष में प्रवेश करता है। 
  • भारत 1947 ई. में स्वतंत्र हुआ।  
  • धीरे-धीरे वह स्वतः संभल जायेगा। 

(5) प्रश्नवाचक सर्वनाम :- जो शब्द किसी शंका या जिज्ञासा का बोध करने हेतु किसी संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हो उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। 
(विशेष :- 1. इन सर्वनाम शब्दों से निर्मित वाक्यों के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न प्रयुक्त होता है। 
2. वाक्य में किसी वस्तु, तथ्य या घटना के विषय में शंका या जिज्ञासा का भाव अवश्य होना चाहिए।)
उदाहरण :- 
  • 1. वस्तु/घटना (क्या) :- तुम क्या लाये ? वहाँ क्या हुआ ?
  • 2. समय (कब) :- वे घर कब आएंगे ?
  • 3. स्थान (कहाँ) :- आज पिताजी जल्दी सुबह ही कहाँ चले गए ?
  • 4. कारण (क्यों) :- आज तुमने आने में देर क्यों कर दी ?
  • 5. विधि/प्रकार (कैसे) :- इस कार्य को कैसे किया जाये ?
  • 6. परिमाण (कितना) :- उसके पास कितनी ज़मीन है ?
  • 7. चयन (कौनसा) :- तूने कौनसा घरोंदा बनाया ?
  • 8. प्राणी (कौन) :- उधर कौन गया ?
  • 9. कर्ता (किसने) :- रास्ता साफ किसने किया ?
  • 10. कर्म (किसे/किसको) :- अपनी पुस्तक तुमने किसको दी थी ?
  • 11. करण (किससे/किसके द्वारा) :- वहाँ तुम किससे मिले ?
  • 12. सम्प्रदान (किसलिए/किस के लिए) :- आज ये उपहार किसके लिए लाये हो ?
  • 13. अपादान (किससे/कहाँ से (पृथक होने के अर्थ में) ) :- गाड़ी अभी कहाँ से निकली है ?
  • 14. संबंध (किसका/की/के) :- सामने खड़ी ये गाड़ी किसकी है ?
  • 15. अधिकरण (किसमें/किस पर) :- ये पानी किसमें भरूँ ?

(6) संबंधवाचक सर्वनाम :- जो सर्वनाम किन्हीं दो शब्दों या वाक्यांशों के मध्य संबंध दर्शाने हेतु प्रयुक्त हो उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं ?
(विशेष :- 1. ये सर्वनाम हमेशा युग्म के रूप में ही प्रयुक्त होते हैं। 2. इनमें से जिस सर्वनाम शब्द से वाक्य शुरू हो उसे मुख्य संबंधवाचक सर्वनाम तथा वाक्य के मध्य में प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम को सहसंबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।)
जैसे :- जो-सो/वो, ज्यों-त्यों, जैसा-वैसा, ऐसा-वैसा, जिसका-उसका, जितना-उतना,
  • जो करेगा सो/वो भरेगा। 
  • ज्यों आगे बढ़ोगे त्यों ही गंतव्य निकट आएगा। 
  • जिसकी लाठी, उसकी भैंस। 
  • जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे। 
          मित्रों, सर्वनाम अध्याय समाप्त हो चुका है। आशा करता हूँ ये आपके लिए निश्चय ही उपयोगी होगा। किसी प्रकार के सुझाव या प्रश्न हेतु Comment अवश्य करें । अगला पोस्ट 'विशेषण' के बारे में होगा। इन्तज़ार करें... ब्लॉग को अपने मित्रों-परिचितों में शेयर करें और Follow करें, ताकि आगामी पोस्ट की सबसे पहले सूचना आपको मिले।


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