नमस्कार मित्रों,
मित्रों, आज का अध्याय आपके लिए बहुत उपयोगी है, इसमें तत्पुरुष समास बारे में विस्तार से बताया गया है, आप इसे अवश्य पढ़े और लाभ उठायें। तो शुरू करते है आज का टॉपिक - - -
2. तत्पुरुष समास
जहाँ उत्तर पद प्रधान हो तथा दो पदों के मध्य प्रयुक्त किसी कारक चिह्न का लोप हो वहाँ तत्पुरुष समास होता है।
इसके पुनः दो भेद होते हैं - (अ) व्यधिकरण तत्पुरुष समास और (ब) समानाधिकरण तत्पुरुष समास।
(अ) व्यधिकरण तत्पुरुष समास :- जहाँ दोनों पदों में अधिकरण (विभक्तियाँ) असमान हो, वहाँ व्यधिकरण तत्पुरुष होता है।
द्वितीया से सप्तमी तद इसके पुनः छह भेद होते है।
(ब) समानाधिकरण तत्पुरुष समास :- जहाँ दोनों पदों में अधिकरण (विभक्तियाँ) समान हो, वहाँ व्यधिकरण तत्पुरुष होता है। संस्कृत व्याकरण में कर्मधारय समास को इसी का भेद बताया गया है तथा कर्मधारय का भेद द्विगु समास को बताया गया है।
पहले व्यधिकरण तत्पुरुष समास के भेदों के बारे में बात करते हैं-
(क) द्वितीय तत्पुरुष समास (कर्म तत्पुरुष समास) :- इनमें संस्कृत की द्वितीय विभक्ति (कर्म कारक) प्रयुक्त होती है। इन उदाहरणों में दो पदों के मध्य 'को, की ओर, की तरफ' कारक चिह्न प्रयुक्त होता है।
कलाकार :- कला को करने वाला
चिड़ीमार :- चिड़िया को मारने वाला
चिड़ीमार :- चिड़िया को मारने वाला
कालातीत :- काल को पार करने वाला
आदमखोर :- आदम (मनुष्य) को वाला
आदमखोर :- आदम (मनुष्य) को वाला
गुणग्राही :- गुणों को ग्रहण करने वाला
विद्याधर :- विद्या को धारण करने वाला
विद्याधर :- विद्या को धारण करने वाला
ख्यातिप्राप्त :- ख्याति को प्राप्त करने वाला
क्रांतिकारी :- क्रांति को करने वाला
क्रांतिकारी :- क्रांति को करने वाला
गगनस्पर्शी :- गगन को स्पर्श करने वाला
परलोकगमन :- परलोक की ओर गमन
परलोकगमन :- परलोक की ओर गमन
मधुभक्षी :- मधु का भक्षण करने वाला
(ख) तृतीया तत्पुरुष समास (करण तत्पुरुष समास) :- इनमें संस्कृत की तृतीया विभक्ति (करण कारक) प्रयुक्त होती है। इन उदाहरणों में दो पदों के मध्य 'से/के द्वारा' कारक चिह्न प्रयुक्त होता है।
मनप्रेरित :- मन से प्रेरित
श्रमसिक्त :- श्रम से थका (भीगा) हुआ
श्रमसिक्त :- श्रम से थका (भीगा) हुआ
परिश्रमसाध्य :- परिश्रम से किया (साधा) हुआ
मेघाच्छादित :- मेघों (बादलों) से छाया हुआ
मेघाच्छादित :- मेघों (बादलों) से छाया हुआ
पदाक्रांत :- पदों (पैरों) से कुचला हुआ
प्रमाणसिद्ध :- प्रमाण से सिद्ध
प्रमाणसिद्ध :- प्रमाण से सिद्ध
महिमान्वित :- महिमा से अन्वित (युक्त)
हस्तलिखित :- हाथ से लिखा हुआ
हस्तलिखित :- हाथ से लिखा हुआ
तुलसीविरचित :- तुलसीदास के द्वारा रचित
अकालग्रस्त :- अकाल से ग्रस्त
अकालग्रस्त :- अकाल से ग्रस्त
आंखोंदेखा :- देखा से देखा हुआ
(ग) चतुर्थी तत्पुरुष समास (सम्प्रदान तत्पुरुष समास) :- इनमें संस्कृत की चतुर्थी विभक्ति (सम्प्रदान कारक) प्रयुक्त होती है। इन उदाहरणों में दो पदों के मध्य 'के लिए' कारक चिह्न प्रयुक्त होता है।
कारागृह :- कारा (दंड) के लिए घर
छात्रावास :- छात्रों/छात्राओं के लिए आवास
छात्रावास :- छात्रों/छात्राओं के लिए आवास
तपोभूमि :- तप के लिए भूमि
रणक्षेत्र :- रण के लिए क्षेत्र
रणक्षेत्र :- रण के लिए क्षेत्र
रंगमंच :- रंग के लिए मंच
रनिवास :- रानियों के लिए आवास
रनिवास :- रानियों के लिए आवास
सत्याग्रह :- सत्य के लिए आग्रह
समाचारपत्र :- समाचार के लिए पत्र
समाचारपत्र :- समाचार के लिए पत्र
हवनकुंड :- हवन के लिए कुंड
हितोपदेश :- हित के लिए उपदेश
हितोपदेश :- हित के लिए उपदेश
विधानसभा :- विधान के लिए सभा
(घ) पंचमी तत्पुरुष समास (अपादान तत्पुरुष समास) :- इनमें संस्कृत की पंचमी विभक्ति व अपादान कारक प्रयुक्त होता है। इन उदाहरणों में दो पदों के मध्य पृथक् करने के अर्थ में 'से' कारक चिह्न प्रयुक्त होता है।
पञ्जरमुक्त :- पिंजरे से मुक्त
ग्रामेतर :- गाँव से अलग
ग्रामेतर :- गाँव से अलग
देशनिकाला :- देश से निकाला
दिग्भ्रमित :- दिशा से भ्रमित
दिग्भ्रमित :- दिशा से भ्रमित
बंधनमुक्त :- बंधन से मुक्त
यूथभ्रष्ट :- यूथ (समूह) से भटका हुआ
यूथभ्रष्ट :- यूथ (समूह) से भटका हुआ
करमुक्त :- हाथ से/ लगान से मुक्त
आकाशपतित :- आकाश से पतित
आकाशपतित :- आकाश से पतित
देशद्रोह :- देश से द्रोह
हस्तच्युत :- हाथ से च्युत (छूटा/गिरा हुआ)
हस्तच्युत :- हाथ से च्युत (छूटा/गिरा हुआ)
सेवानिवृत :- सेवा से निवृत
(ङ) षष्ठी तत्पुरुष समास (संबंध तत्पुरुष समास) :- इनमें संस्कृत की षष्ठी विभक्ति (संबंध कारक) प्रयुक्त होती है। इन उदाहरणों में दो पदों के मध्य 'का/की/के, रा/री/रे' कारक चिह्न प्रयुक्त होता है।
सुमन सौरभ :- सुमन (फूलों) की सुंगंध
गौदुग्ध :- गाय का दूध
गौदुग्ध :- गाय का दूध
रोगोपचार :- रोग का उपचार
चर्मरोग :- चार्म का रोग
चर्मरोग :- चार्म का रोग
वृक्षच्छाया :- वृक्ष की छाया
अग्निशिखा :- अग्नि की शिखा
अग्निशिखा :- अग्नि की शिखा
आत्मकथा :- स्वयं की कथा
ग्रंथावली :- ग्रंथों की पंक्ति
ग्रंथावली :- ग्रंथों की पंक्ति
चरित्रहनन :- चरित्र का हनन
जलधारा :- जल की धारा
जलधारा :- जल की धारा
ध्वजावतरण :- ध्वज का अवतरण
मृगछौना :- मृग (हिरण) का छौना (बच्चा)
मृगछौना :- मृग (हिरण) का छौना (बच्चा)
(च) सप्तमी तत्पुरुष समास (अधिकरण तत्पुरुष समास) :- इनमें संस्कृत की सप्तमी विभक्ति (अधिकरण कारक) प्रयुक्त होती है। इन उदाहरणों में दो पदों के मध्य 'को' कारक चिह्न प्रयुक्त होता है।
ध्यानमग्न :- ध्यान में मग्न
वनवास :- वन में वास
वनवास :- वन में वास
कूपपतित :- कूप में पतित
आसनासीन :- आसान पर आसीन
आसनासीन :- आसान पर आसीन
रणवीर :- राण में वीर
मुनिपुंगव :- मुनियों में पुंगव
मुनिपुंगव :- मुनियों में पुंगव
भड़भूँजा :- भट्टी में भुना हुआ
ग्रामवासी :- गांव में रहने वाला
ग्रामवासी :- गांव में रहने वाला
घुड़सवार :- घोड़े पर सवार
कार्यकुशल :- कार्य में कुशल
कार्यकुशल :- कार्य में कुशल
गृहप्रवेश :- घर में प्रवेश
पर्वतारोहण :- पर्वत पर आरोहण
पर्वतारोहण :- पर्वत पर आरोहण
तत्पुरुष समास के अन्य भेद
1. नञ् तत्पुरुष समास :- जहाँ नकारात्मक या निषेधात्मक अर्थ हेतु 'अ', 'अन्', 'अन' और 'न' उपसर्ग प्रयुक्त हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है।
अज्ञात :- नहीं है ज्ञात जो
अज्ञात :- नहीं है ज्ञात जो
अभेद्य :- नहीं भेदा जाये जिसे
अतृप्त :- नहीं है जो तृप्त
अतृप्त :- नहीं है जो तृप्त
असंतोष :- नहीं है संतोष जिसे
अपरिमित :- नहीं है परिमाण जिसका
अपरिमित :- नहीं है परिमाण जिसका
अकाट्य :- नहीं काटा जाये जिसे
अटल :- नहीं टाला जाये जिसे
अटल :- नहीं टाला जाये जिसे
अदृश्य :- नहीं देखा जाये जिसे
अमंगल :- नहीं है जो कल्याणकारी
अमंगल :- नहीं है जो कल्याणकारी
अलभ्य :- जिसे प्राप्त नहीं किया जा सके
अव्यय :- नहीं हो व्यय जिसका
अव्यय :- नहीं हो व्यय जिसका
अनभिज्ञ :- नहीं है जानकारी जिसे
अनजान :- नहीं जानता है जो
अनजान :- नहीं जानता है जो
अनदेखा :- नहीं देखा है जिसे
अनमना :- नहीं है मन जिसके प्रति
अनमना :- नहीं है मन जिसके प्रति
अनसुना :- नहीं सुना है जिसके विषय में
अनमोल :- नहीं है मूल्य जिसका
अनमोल :- नहीं है मूल्य जिसका
अनमेल :- नहीं है मेल जिसका
अनंत :- नहीं है अंत जिसका
अनंत :- नहीं है अंत जिसका
अनादर :- नहीं है आदर जिसका
अनिच्छा :- नहीं है इच्छा जिसके प्रति
अनिच्छा :- नहीं है इच्छा जिसके प्रति
अनुपजाऊ :- नहीं है जो उपजाऊ
अनुचित :- नहीं है जो उचित
अनुचित :- नहीं है जो उचित
अनूर्वर :- नहीं है ऊर्वर
अनैच्छिक :- नहीं है जो ऐच्छिक
अनैच्छिक :- नहीं है जो ऐच्छिक
अनेक :- नहीं है जो एक
नकारा :- जिसे करना निषेध हो
नकारा :- जिसे करना निषेध हो
नपुंसक :- नहीं है पुरुषत्व जिसमें
नगण्य :- नहीं है जो गिनने योग्य
नगण्य :- नहीं है जो गिनने योग्य
2. लुप्तपद तत्पुरुष समास :- जहाँ दो सामासिक पदों के मध्य प्रयुक्त वाक्यांश का ही लोप हो वहाँ लुप्तपद तत्पुरुष समास होता है।
गुड़धानी :- गुड़ मिली हुई धानी
पनचक्की :- पानी से चलने वाली चक्की
पनचक्की :- पानी से चलने वाली चक्की
पवनचक्की :- पवन से चलने वाली चक्की
पर्णकुटीर :- पत्तों से बानी हुई कुटिया
पर्णकुटीर :- पत्तों से बानी हुई कुटिया
आदिमानव :- आदि काल से निवास करने वाला मानव
बैलगाड़ी :- बैल/बैलों से चलने वाली गाड़ी
मालगाड़ी :- माल को धोने वाली गाड़ी
मालगाड़ी :- माल को धोने वाली गाड़ी
रेलगाड़ी :- रेल पर चलने वाली गाड़ी
मधुमक्खी :- मधु को बनाने वाली मक्खी
मधुमक्खी :- मधु को बनाने वाली मक्खी
रसमलाई :- रस में डूबी हुई/ रस से भीगी हुई मलाई
मोटरगाड़ी :- मोटर से चलने वाली गाड़ी
दहीबड़ा :- दही में डूबा हुआ बड़ा
दहीबड़ा :- दही में डूबा हुआ बड़ा
वीरप्रसविनी :- वीरों को उत्पन्न करने वाली
3. उपपद तत्पुरुष समास :- जहाँ मुख्य पद के बाद के बाद प्रत्ययवत् जुड़ने वाले ऐसे पद जिनका न ही स्वतन्त्र प्रयोग हो और न ही स्वतंत्र अर्थ हो किन्तु शब्द के साथ जुड़कर प्रतीकात्मक अर्थ अवश्य प्रगट करते हैं, वहाँ उपपद तत्पुरुष समास होता है।
(विशेष :- वस्तुतः इस समास में बहुधा बहुव्रीहि समास का भ्रम हो जाता है, किन्तु ध्यान रखें बहुव्रीहि समास में दोनों पद सार्थक (अर्थवान्) होते हैं, जबकि इसमें पूर्वपद ही सार्थक होगा उत्तरपद कोई प्रत्यय (जो कि निरर्थक होते हैं) होगा, अतः ऐसे पदों में उपपद तत्पुरुष समास ही माना जाता हैं। जैसे :- जलज शब्द में पूर्व पद जल ही सार्थक है, उत्तर पद 'ज' का कोई अर्थ नहीं है, अतः संयुक्त पद का अन्य अर्थ 'कमल' (बहुव्रीहि) प्रतीत होते हुए भी प्रयुक्त नहीं होगा। सामान्यतः इन उदाहरणों में उत्तर पद किसी धातु का रूप या अंश होता है।)
अण्डज :- अंडे से उत्पन्न होने वाला
पंकज :- पंक (कीचड) में उत्पन्न होने वाला
पंकज :- पंक (कीचड) में उत्पन्न होने वाला
सुखद :- सुख को देने वाला
दुःखद :- दुःख को देने वाला
दुःखद :- दुःख को देने वाला
ज्ञानद :- ज्ञान को देने वाला
मानद :- मान को देने वाला
मानद :- मान को देने वाला
धनद :- धन को देने वाला
पयोद :- पय (पानी) को देने वाला
पयोद :- पय (पानी) को देने वाला
जलधि :- जल को धारण करने वाला
फलदायी :- फल को देने वाला
फलदायी :- फल को देने वाला
सुखदायी :- सुख को देने वाला
अल्पज्ञ :- अल्प (थोड़ा) जानने वाला
अल्पज्ञ :- अल्प (थोड़ा) जानने वाला
विशेषज्ञ :- विशेष रूप से जानने वाला
शास्त्रज्ञ :- शास्त्रों के विषय में जानने वाला
शास्त्रज्ञ :- शास्त्रों के विषय में जानने वाला
समीपस्थ :- स्थित
ध्यानस्थ :- ध्यान में स्थित
ध्यानस्थ :- ध्यान में स्थित
कंठस्थ :- कंठ में स्थित
पादप :- पाद (पैरों) से पीने वाला
पादप :- पाद (पैरों) से पीने वाला
मधुप :- मधु को पीने वाला
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
कुछ यादें आपके साथ की
साथियों आज का टॉपिक कैसा लगा कमेंट अवश्य करें।
पिछले पोस्ट के लिंक नीचे दिए गए हैं
हिंदी भाषा की संवैधानिक स्थिति का लिंक https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/blog-post_18.html
हिंदी भाषा की संवैधानिक स्थिति का लिंक https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/blog-post_18.html
संधि (स्वर संधि) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/google-blog.html
समास (अव्ययीभाव समास) https://deepaksikhwal.blogspot.com/2020/05/samas.html
mst guru ji
ReplyDeleteShandar sir
ReplyDeleteGuru ji ko namskar,Fir si division ho gya guru ji
ReplyDeleteReal knowledge.
ReplyDeleteReal knowledge.
ReplyDeleteReal knowledge.
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDelete